प्रकृति की ओर…

पर्यावरण

डॉ. विनीता राठौड़


कर के प्रकृति से खिलवाड़
प्राकृतिक संतुलन दिया बिगाड़
जन-जीवन हो गया उजाड़
कैसे पुनर्स्थापित होगा
जीवन जीने का जुगाड़
अधर्म है जाना प्रकृति के विपरीत
आवश्यक है पालना इसकी हर रीत
अन्यथा होंगे सभी प्रभावित
शीघ्र ही समझें तो ही उचित
इसी में है सबका हित निहित
करें प्रकृति से फिर से प्रीत
अब न होने दें इसका और अहित।

प्रकृति जब करती है प्रकोप
प्रलय बन प्रकट होते कई रोग
कैसे ‘कोरोना’ लेकर आया
‘कोविड 19’ नामक रोग नया
है सबसे मेरी विनती विनीत
स्वगृहावास का पालन करें नित
कोरोना को नियंत्रित करें त्वरित
चारों खाने अब करें इसको चित।

है आवश्यक अब सावचेत हो जाएं
दो गज की दूरी परस्पर बनाएं
मास्क बिना बाहर ना जाएं
हस्त प्रक्षालन का नियम बनाएं
समय रहते टीका लगवाएं
महामारी  की गाइड  लाइन हम निभाएँ
योग करें और रोग भगाएं
‘प्रकृति  की ओर’ कदम बढ़ाएं
इस वैश्विक महामारी को समूल मिटाएं
समस्त विश्व कुटुम्ब पुनः इठलाएं।




 

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