घूसखोर जज हाईकोर्ट की सिफारिश पर सेवा से बर्खास्त, जानें पूरा मामला

शिमला 

भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद एक वरिष्ठ सिविल जज को सेवा से बर्खास्त (Dismissed From Judicial Services) कर दिया गया है। भ्रष्टाचार के एक मामले में जांच के बाद हाई कोर्ट ने यह सिफारिश की थी

एक न्यायिक अधिकारी को सेवा से बर्खास्त करने की यह कार्रवाई हिमाचल प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) की सिफारिश पर की है। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने सिविल जज सह अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) गौरव शर्मा को बर्खास्त करने का आदेश पारित किया। जज को एक स्थानीय निवासी से 40,000 रुपए  की रिश्वत लेने का दोषी पाया गया था। हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा के एक वरिष्ठ सिविल जज को पहली बार इस तरह के मामले में बर्खास्त किया गया है।

हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले के सुंदरनगर में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गौरव शर्मा पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। वर्ष 2007 में राज्य सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो के अधिकारियों की टीम ने गिरफ्तार किया था। उसके बाद से वे निलंबित चल रहे थे। अब गृह विभाग की ओर से उनकी बर्खास्तगी की अधिसूचना जारी कर दी गई है।

गौरव शर्मा पंजाब के अमृतसर के रहने वाले हैं। उन्हें वर्ष 2017 में एसीजेएम सुंदरनगर के रूप में तैनात किया गया था। इसके बाद उन्होंने उन मामलों के निपटारे के लिए पैसे की मांग की थी। नतीजतन, संबंधित व्यक्ति ने सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दर्ज की थी।

चेक बाउंस का था मामला
सुंदरनगर में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रहने के दौरान गौरव शर्मा के सामने चेक बाउंस होने का मामला सामने आया था। इस मामले को निपटाने के लिए सिविल जज ने व्यवसायी से 40 हजार रुपए रिश्वत मांगी। व्यवसायी चेक बाउंस होने के बाद अपना पैसा पाने के लिए संघर्ष कररहा था। रिश्व मांगे जाने की उन्होंने शिकायत कर दी। उन्हें सिविल जज ने अपने कक्ष में बुलाकर रिश्वत मांगी थी। इसके बाद सतर्कता दल ने जाल बिछाकर शर्मा को गिरफ्तार कर लिया, जब वे अपने आवास पर पैसे ले रहे थे। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 और 13 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया।

गृह विभाग के प्रधान सचिव रजनीश ने जारी एक अधिसूचना में कहा कि हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने निलंबित सिविल जज-सह-एसीजेएम गौरव शर्मा के खिलाफ केंद्रीय सिविल के नियम 14 के तहत जांच करने का प्रस्ताव रखा था। सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1965 और उच्च न्यायालय द्वारा जांच की गई थी। उन्होंने कहा कि जांच में उनके खिलाफ सभी आरोप साबित हो गए।

आरोप साबित होने के बाद हाई कोर्ट ने निलंबित सिवल जज को सेवा से बर्खास्त करने की सजा की सिफरिश की। गृह विभाग की अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि राज्यपाल ने हाई कोर्ट की सिफारिशों पर विचार करते हुए और सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के नियम 11 के खंड (9) के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए बर्खास्तगी का आदेश दिया। गौरव शर्मा को हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है।

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