नई दिल्ली | नई हवा ब्यूरो
चुनाव आयोग ने देश के 16वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है। 18 जुलाई को चुनाव होंगे और 21 जुलाई को देश को नए राष्ट्रपति मिल जाएंगे। 29 जून नामांकन की आखिरी तारीख होगी। आयोग ने कहा कि 29 जून तक नॉमिनेशन किए जा सकेंगे। संसद और विधानसभाओं में वोटिंग होगी। राज्यसभा के महासचिव चुनाव प्रभारी होंगे। इसके अलावा कोरोना प्रोटोकॉल के पालन के भी निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 15 जून को चुनाव की अधिसूचना जारी होगी और 18 जुलाई को वोटिंग होगी। 21 जुलाई को काउंटिंग खत्म होने के बाद ही नए राष्ट्रपति के नाम का ऐलान हो जाएगा। आपको बता दें कि 2017 में राष्ट्रपति चुने गए रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है। वे देश के 15वें राष्ट्रपति हैं। पिछली बार 17 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी। मतगणना 20 जुलाई को पूरी हुई जिसमें रामनाथ कोविंद को निकटतम प्रतिद्वंद्वी मीरा कुमार को 3 लाख 34 हजार 730 वोटों से हराते हुए विजयी घोषित किया गया।
पहली पसंद नहीं बताई तो वोट रद्द
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि चुनाव में वोटिंग के लिए विशेष इंक वाला पेन मुहैया कराया जाएगा। वोट देने के लिए 1,2,3 लिखकर पसंद बतानी होगी। पहली पसंद ना बताने पर वोट रद्द हो जाएगा। इसी तरह अगर कोई दूसरा पेन इस्तेमाल करता है तो उसका वोट अमान्य घोषित कर दिया जाएगा।
ये होगी चुनाव प्रक्रिया
राष्ट्रपति को चुनने के लिए आम लोग वोटिंग नहीं करते। इसके लिए जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि और उच्च सदन के प्रतिनिधि वोट डालते हैं। लोकसभा और राज्यसभा सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालेंगे। इसके अलावा सभी राज्यों की विधानसभा के सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग करते हैं। इसमें केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और पुडुचेरी की विधानसभा के सदस्य भी शामिल होते हैं। यानी 776 सांसद और 4033 विधायक (कुल 4809 मतदाता) वोट देंगे। व्हिप लागू नहीं होगा और मतदान पूरी तरह से गुप्त होगा। मनोनीत सदस्यों और विधान परिषद के सदस्यों को राष्ट्रपति चुनाव में मतदान का अधिकार नहीं है।
राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 35 साल की उम्र होना जरूरी है। भारत का कोई भी नागरिक कितनी भी बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकता है। लोकसभा सदस्य होने की पात्रता और किसी भी लाभ के पद पर न होने के साथ-साथ उम्मीदवार के पास कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 समर्थक विधायक होने चाहिए।
विधानसभा भंग होने पर क्या
संविधान के अनुच्छेद 71 (4) में इस बात का उल्लेख है कि राष्ट्रपति पद का चुनाव किसी भी स्थिति में नहीं रुकेगा। अगर किसी राज्य की विधानसभा भंग हो गई है या कई राज्यों में विधानसभा सीटें रिक्त हैं तो भी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव तय समय से ही होंगे।
भाजपा के पास 48.9% वोट
राष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा अपने सहयोगियों और सहयोगी दलों के साथ आम सहमति चाहती है, ताकि अगले राष्ट्रपति का चुनाव आसानी से हो जाए। रिपोर्ट के अनुसार NDA के पास सभी सांसदों और विधायकों के 48.9% वोट हैं। भाजपा राष्ट्रपति के अपने उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस से समर्थन लेने के लिए संपर्क कर रही है। NDA की स्थिति पिछली बार की तरह ही इस बार भी मजबूत है, लेकिन उसने आंध्र प्रदेश और ओडिशा से समर्थन मांगा है। UPA की नजर राज्यसभा की 16 सीटों पर है। इन सीटों पर 10 जून को चुनाव होना है।
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