जग के झंझावतों से बचा
सुकून की नींद हमें सुलाते
जज़्बातों को भीतर समेट
मजबूती का पाठ पढ़ाते
हार हो जाने पर हौंसला बंधा कर
जीत का जश्न मनाना भी हमें सिखाते
पापा आखिर पापा हैं होते
देवदूत का साया हैं होते।
(लेखिका राजकीय महाविद्यालय, नाथद्वारा में प्राणीशास्त्र की सह आचार्य हैं)