पिता देवदूत का साया सा होते…

फादर्स डे 

डॉ. विनीता राठौड़


पिता देवदूत के साये से होते,
हम पर सदैव छत्र छाया रखते
प्यार अपना कभी नहीं जताते
खुशियों का ख्याल फिर भी वे रखते
भविष्य संतानों का संवारने
अपना सर्वस्व न्योछावर कर देते
हमें सुसंस्कृत बनाने
कठोर अनुशासन के नियम बनाते
भूल जरा सी भी हो जाने पर
सख्ती बड़ी दिखाते

हर काम में खामियां गिना कर
बेहतर करने को अग्रेषित करते
अपनी पुरजोर मेहनत लगा कर
खुद से एक कदम आगे हमें बढ़ाते
मितव्ययता का पाठ पढ़ा कर
चाहतें सभी हमारी पूरी करते
देश, काल और परिस्थिति का आकलन कर
विवेक पूर्ण निर्णय करना वही सिखाते
दिल खोल कर कभी तारीफ नहीं करते
पर हमारी हर उपलब्धि पर फूले नहीं समाते

प्रगति पथ पर बढ़ाने
रोक टोक संग थोड़ी छूट भी देते
बचपन में घोड़ा बन
सपनों को हमारे उड़ान भी वे देते
महंगी सवारी खरीद सकें हम
इस लायक भी वही बनाते
मायूसी घर में कभी न छा पाए
उत्तरदायित्व वे सदा निभाते

जग के झंझावतों से बचा
सुकून की नींद हमें सुलाते
जज़्बातों को भीतर समेट
मजबूती का पाठ पढ़ाते
हार हो जाने पर हौंसला बंधा कर
जीत का जश्न मनाना भी हमें सिखाते
पापा आखिर पापा हैं होते
देवदूत का साया हैं होते।

(लेखिका राजकीय महाविद्यालय, नाथद्वारा में प्राणीशास्त्र की सह आचार्य हैं)




 

ये भी पढ़ें