कर्मचारियों के खिलाफ CBI जांच पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, राज्य सरकारों का हस्तक्षेप खत्म

नई दिल्ली 

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय कर्मचारियों के खिलाफ सीबीआई की जांच को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। जस्टिस सी.टी. रविकुमार और राजेश बिंदल की पीठ ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और अन्य केंद्रीय कानूनों के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए सीबीआई को राज्य सरकारों की सहमति की आवश्यकता नहीं है।

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यह फैसला आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के एक आदेश को पलटते हुए आया, जिसमें दो केंद्रीय कर्मचारियों के खिलाफ सीबीआई जांच को रद्द कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की व्याख्या से असहमति जताई और कहा कि डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 के तहत दी गई सामान्य सहमति केंद्रीय अपराधों की जांच के लिए पर्याप्त है।

हाई कोर्ट का आदेश पलटा
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा सीबीआई जांच को रद्द करने के निर्णय को गलत ठहराते हुए कहा कि “सामान्य सहमति” पहले से लागू रहती है, और नए राज्य बनने के बाद भी उसे रद्द करने की आवश्यकता नहीं।

पीठ ने स्पष्ट किया कि 2014 में अविभाजित आंध्र प्रदेश की ओर से दी गई सहमति नए राज्यों – आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पर भी लागू होती है, जब तक कि इसे औपचारिक रूप से रद्द या संशोधित नहीं किया जाता।

राज्यों की सहमति की जरूरत क्यों नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के कर्मचारियों पर केंद्रीय अधिनियमों के तहत दर्ज मामलों में राज्यों की सहमति की आवश्यकता को अस्वीकार करते हुए कहा कि:

  • डीएसपीई अधिनियम की धारा 6 केवल राज्य की क्षेत्रीय सीमाओं में जांच को रोकने के लिए लागू नहीं की जा सकती।
  • केंद्रीय अपराधों की जांच को बाधित करना सहमति प्रावधान का उद्देश्य नहीं है।
  • राज्यों द्वारा दी गई “सामान्य सहमति” सीबीआई जांच के लिए पर्याप्त है।

केंद्र के कर्मचारियों पर जांच का अधिकार
इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने जोर दिया कि केंद्रीय कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम जैसे केंद्रीय कानूनों के तहत आरोप लगाए गए थे, जो केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। इसलिए, सीबीआई को जांच करने के लिए राज्य की सहमति की आवश्यकता नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
पीठ ने कहा, “हमारा स्पष्ट मानना है कि हाई कोर्ट का निर्णय गलत था। एफआईआर को रद्द करना और जांच को रोकना केंद्रीय अपराधों से निपटने की प्रक्रिया में बाधा डालता है।” सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपील को स्वीकार करते हुए जांच को बहाल कर दिया।

इस फैसले का असर
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सीबीआई को राज्यों के हस्तक्षेप से राहत देता है। अब, केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर लगे भ्रष्टाचार और अन्य गंभीर अपराधों की जांच सीबीआई बिना किसी बाधा के कर सकती है।

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