नई दिल्ली
न्यायिक प्रक्रिया में अपने को फंसता देख आख़िरकार मलयालम मनोरमा कं.लि की द वीक मैग्जीन ने स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर लिखे गए अपमानजनक लेख को लेकर पांच साल बाद अब माफी मांग ली है। ‘द वीक’ ने माफीनामे को अपनी मैगजीन में प्रकाशित किया है। द वीक’ द्वारा लिखे गए माफीनामे को महापुरुषों का अपमान करने वाले संकीर्ण मानसिकता के लोगों की पराजय के रूप देखा जा रहा है। इससे पहले ऐसे ही एक प्रस्तुतिकरण में मराठी समाचार माध्यम एबीपी माझा को भी माफी मांगनी पड़ गई थी। अब ‘द वीक’ ने अदालत के बाहर समझौता करके माफी मांगी है।
आपको बता दें कि 24 जनवरी, 2016 को निरंजन टाकले नाम के एक लेखक का लेख ‘द वीक’ ने प्रकाशित किया था, जिसका शीर्षक ‘लैंब लायोनाइज्ड’ था। इस लेख को लेकर विवाद भी हुआ। इस लेख को वीर सावरकर की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के उद्देश्य से लिखा गया था और साथ ही इसमें मनगढ़ंत और तथ्यहीन बातें लिखी गई थीं। दावा किया गया कि, इस लेख में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर कर प्रस्तुत किया गया। इसके बाद ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ ने इस आलेख को चुनौती दी थी। उससे पहले 23 अप्रेल, 2016 को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में भी इसकी लिखित शिकायत की गई।
‘द वीक’ प्रबंधन इस लेख में सावरकर को लेकर के परोसे गए झूठ को न्यायालय के सामने सही सिद्ध नहीं कर सका। इस प्रकरण में अब तक 21 सुनवाइयां हो चुकी थीं। 10 दिसंबर, 2019 को आरोपियों को 15 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत मिली। जब प्रबंधन को लगा कि न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए उनके पास सच नहीं है, तब उन्होंने मई – 2021 के ‘द वीक’ के अंक में प्रथम पृष्ठ पर इस लेख के सम्बन्ध में खेद प्रकट किया और वीर सावरकर का अपमान होने के लिए जिम्मेदार लेख के लिए क्षमा याचना की।
माफीनामे में यह लिखा ‘द वीक’ ने
‘द वीक’ ने मई-2021 के अपने अंक में वीर सावरकर पर लिखे गए अपमानजनक और झूठे लेख के लिए माफी मांगते हुए लिखा है – ‘विनायक दामोदर सावरकर पर एक लेख 24 जनवरी, 2016 को ‘द वीक’ में प्रकाशित किया गया था। इसका शीर्षक ‘लैंब लायोनाइज्ड’ था और कंटेंट पेज में ‘हीरो टू जीरो’ के रूप में उल्लेख किया गया था, उसे गलत समझा गया और यह उच्च कद वाले वीर सावरकर की गलत व्याख्या करता है। हम वीर सावरकर को अति सम्मान की श्रेणी में रखते हैं। यदि इस लेख से किसी व्यक्ति को कोई व्यक्तिगत चोट पहुंची हो, तो पत्रिका प्रबंधन खेद व्यक्त करता है और इस तरह के प्रकाशन के लिए क्षमा चाहते हैं।’
21 सुनवाइयां हुईं, निजी मुचलके पर जमानत मिली
इस मुकदमें में लेखक निरंजन टकले, मलयालम मनोरमा कं.लि के फिलिप मैथ्यू (प्रबंध संपादक), जेकब मैथ्यू ( मुद्रक व प्रकाशक), टीआर गोपालकृष्णन (प्रभारी संपादक) को आरोपी बनाया गया था। पांच वर्ष से यह प्रकरण चल रहा है। इस मध्य 21 सुनवाइयां हुईं, 10 दिसंबर, 2019 को आरोपियों को 15 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत मिली।
लेख में सावरकर की छवि को ऐसे हुई बिगाड़ने की कोशिश
मलयाला मनोरमा द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘द वीक’ के जनवरी 2016 के अंक में सावरकर के विरुद्ध ‘A lamb, lionised’ शीर्षक से प्रकाशित लेख में पाठकों के मध्य यह गलत धारणा स्थापित करने का प्रयत्न किया गया कि वीर सावरकर एक दब्बू थे, जिसे शासकीय स्तर पर शेर के रूप में प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया गया है। लेख में अंग्रेजों के विरुद्ध उनके अत्यंत साहसिक क्रांतिकारी कार्यों और इसके फलस्वरूप 28 साल की उम्र में काले पानी की सजा, दो आजीवन कारावास और बाद में राष्ट्रीय जीवन में उनके योगदान संबंधी तमाम ऐतिहासिक तथ्यों को झुठलाने की कोशिश की गई थी। लेख में वीर सावरकर के विरुद्ध चयनित रूप से एक विचारधारा के बुद्धिजीवियों के प्रायोजित उद्धरण प्रस्तुत कर उनकी छवि को बिगाड़ने का प्रयास किया गया। इससे आहात होकर वीर सावरकर के पौत्र रंजीत सावरकर कोर्ट में गए और तमाम दस्तावेजों और तथ्यों के साथ इन बातों को बेबुनियाद सिद्ध किया। रंजीत सावरकर के 5 वर्षों के संघर्ष के बाद आखिरकार THE WEEK को झुकना पड़ा और कोर्ट के बाहर समझौते के तहत द वीक के अंक में अपना माफीनामा प्रकाशित करना पड़ा।
ये भी पढ़ें
- कार और ट्रेलर में भीषण भिड़ंत, एक ही परिवार के 3 बच्चों समेत 5 की मौत, 8 घायल
- दलील पूरी होते ही कोर्ट से बाहर निकले वकील, जज हुए नाराज | इसके बाद फिर ये हुआ | दिल्ली शराब घोटाला मामला
- आगरा में हाईवे पर एक्सीडेंट: काल बनकर आया बेकाबू ट्रक दम्पती को रौंद गया | भाई की शादी से लौट रहे थे
- डीग: ई-मित्र संचालकों द्वारा रजिस्ट्रेशन के नाम पर किसानों से अधिक वसूली करने की शिकायत | भारतीय किसान यूनियन (भानू) ने प्रशासन को दिया ज्ञापन
- वैर के ग्राम जहाज में 24 अप्रैल से शुरू होगा कारिस देवबाबा का लक्खी मेला
- भरतपुर के वार्ड 43 में धूमधाम से मनाई हनुमान जयंती
- जयपुर में घर में घुसकर महिला का मर्डर, बिस्तर पर मिली लाश | कमरा बंद कर छत के रास्ते फरार हुआ बदमाश
- SMS हॉस्पिटल में ब्लड डोनेशन के बाद युवक की मौत | रक्तदान के बाद अचानक उठा सीने में दर्द
- सरकारी बैंक नहीं कर सकते यह काम; बॉम्बे हाईकोर्ट ने लगाई रोक | अब रद्द हो जाएगा ये सर्कुलर, जानें पूरा मामला
- भरतपुर: हरित बृज सोसायटी ने श्रीबांके बिहारी मंदिर परिसर में बांधे परिंडे, घोंसले और छायादार पौधे भी लगाए जाएंगे
वीर सावरकर का अपमान अब स्वीकार नहीं: रणजीत सावरकर
वीर सावरकर के पौते रणजीत सावरकर के अनुसार अपमान का प्रयत्न अब स्वीकार्य नहीं होगा। ऐसे लोगों पर कार्यवाही के लिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक अब तैयार है। उन्होंने कहा कि अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोग क्रांतिवीरों पर भी गलत बयानबाजी और लेख लिखने से पीछे नहीं हटते। इसका संज्ञान लेते हुए स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक ने कड़ी कार्यवाही शुरू की है जिसके कारण न्यायालय और जनता के दरबार में ऐसी शक्तियों को शरणागति स्वीकार करने के अलावा कोई राह नहीं बची।
महात्मा गांधी ने सावरकर को बताया था ‘भारत माता का निष्ठावान पुत्र’
वीर सावरकर को ‘भारत माता का निष्ठावान पुत्र’ महात्मा गांधीजी ने कहा था । अपने समाचार पत्र ‘यंग इंडिया’ में महात्मा गांधीजी ने 18 मई, 1921 को विनायक सावरकर और गणेश सावरकर, दोनों भाईयों के लिए लिखते हुए यह प्रश्न उठाया था कि इन दोनों प्रतिभाशाली भाईयों को ‘शाही घोषणा’ के बाद भी अब तक क्यों नहीं छोड़ा गया है। सावरकर उस समय अपने भाई के साथ कालापानी में कठोर सजा भोग रहे थे।