कविता
डॉ. विनीता राठौड़
वक़्त का दरिया बह जाएगा
वक़्त यह भी गुज़र जाएगा
घर से बाहर कदम न रखना
कुछ दिन घर में कैद ही रहना
सैर-सपाटा अभी न करना
थोड़ा अभी तुम ठहरना
तन्हा स्वयं को होने न देना
पराशक्ति में ध्यान लगाना
हौंसला अपना कभी न खोना
संयम को अभी बनाए रखना
सांसों को यूँ ही न थमने देना
प्राणायाम निरंतर करते रहना
जिजीविषा को कम न होने देना
जीवन की डोर को थामे रखना
माना वक़्त बुरा है आया
इसको फिर से जाना ही होगा
पसरा है सन्नाटा चहुँओर
शीघ्र शहर गुलज़ार भी होगा
हंसी-ठहाका फिर से होगा
मित्रों से मिलना भी होगा
संकट विमुक्ति के समग्र प्रयासों द्वारा
अदृश्य मायावी शत्रु शीघ्र परास्त होगा
घोर अँधेरी रात के बाद
फिर सुनहरा सवेरा होगा
वक़्त का पहिया फिर से घूमेगा
वक़्त यह भी गुज़र जाएगा।
( लेखिका राजकीय महाविद्यालय, नाथद्वारा में प्राणीशास्त्र की सह आचार्य हैं)
ये भी पढ़ें
- Bharatpur: 11 मई से आयोजित होगी जिला ताईक्वानडो चैंपियनशिप
- कार और ट्रेलर में भीषण भिड़ंत, एक ही परिवार के 3 बच्चों समेत 5 की मौत, 8 घायल
- दलील पूरी होते ही कोर्ट से बाहर निकले वकील, जज हुए नाराज | इसके बाद फिर ये हुआ | दिल्ली शराब घोटाला मामला
- आगरा में हाईवे पर एक्सीडेंट: काल बनकर आया बेकाबू ट्रक दम्पती को रौंद गया | भाई की शादी से लौट रहे थे
- डीग: ई-मित्र संचालकों द्वारा रजिस्ट्रेशन के नाम पर किसानों से अधिक वसूली करने की शिकायत | भारतीय किसान यूनियन (भानू) ने प्रशासन को दिया ज्ञापन
- वैर के ग्राम जहाज में 24 अप्रैल से शुरू होगा कारिस देवबाबा का लक्खी मेला
- भरतपुर के वार्ड 43 में धूमधाम से मनाई हनुमान जयंती
- जयपुर में घर में घुसकर महिला का मर्डर, बिस्तर पर मिली लाश | कमरा बंद कर छत के रास्ते फरार हुआ बदमाश
- SMS हॉस्पिटल में ब्लड डोनेशन के बाद युवक की मौत | रक्तदान के बाद अचानक उठा सीने में दर्द
- सरकारी बैंक नहीं कर सकते यह काम; बॉम्बे हाईकोर्ट ने लगाई रोक | अब रद्द हो जाएगा ये सर्कुलर, जानें पूरा मामला