17वीं शताब्दी का कंबोई का भव्य पार्श्वनाथ जिनालय

अहमदाबाद

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कंबोई स्थित पार्श्वनाथ जिनालय तीर्थ की सात फणों से युक्त प्रतिमा दो हजार साल से अधिक पुरानी है। तीर्थ की प्राचीनता 17 वीं शताब्दी का होने का अनुमान है।

कला, शिल्प और सौंदर्य के दृष्टिगत यह प्रतिमा संप्रति काल की मानी जाती है। मूलनायक मनमोहन पार्श्वनाथ के दोनों तरफ प्रतिष्ठित प्रतिमाओं पर लिखे लेख के अनुसार 1659 की वैशाख सुदी 13 को श्री विजयसेन सूरिश्वरजी की वरदहस्त से प्रतिष्ठा हुई थी। देरासर कांच के कलात्मक नक्काशीदार कलाकारी से परिपूर्ण होकर दर्शनीय है।

 जिनालय में पार्श्वनाथ प्रभु के 10 भवों के चित्रण सहित मोक्ष साधना का मनमोहक चित्रण किया गया है। यहां धर्मशाला एवं भोजनशाला की व्यवस्था है। कंबोई चणास्मा से 12 किमी तथा मेहसाणा से 45 किमी की दूरी पर है।

एक प्राचीन दान-पत्र (उपहार पत्र) के अनुसार, यह माना जाता है कि कम्बोई गांव की स्थापना वीएस की 11 वीं शताब्दी के दौरान हुई होगी। मंदिर की आकृति और कला के अनुसार, राजा संप्रति के शासन के दौरान बनाई जाने वाली मूर्ति के बारे में निष्कर्ष निकाला गया है। मंदिर में मौजूद अन्य मूर्तियों में 16 वीं शताब्दी का अंकन है। इस मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार वीएस 2003 में हुआ।

यह तीर्थ कंबोई स्टेशन से 1 किमी की दूरी पर मौजूद है। यह स्थान हिरज-मेहसाणा मार्ग पर मौजूद श्री चेंस्मा तीर्थ से 16 किलोमीटर दूर है। बसों और टैक्सियां श्री चेंस्मा तीर्थ से उपलब्ध हैं।

यह पवित्र स्थान कई प्राचीन तीर्थों में से एक तीर्थ के रूप में माना जाता है। फाल्गुन शुक्ल की प्रत्येक 2 तारीख को वार्षिक मेले में हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

मंदिर कंबोई गांव के केंद्र में स्थित है। मूलनायक की मूर्ति की कला और डिजाइन राजा संप्रति के काल के दौरान की है। मंदिर की अन्य मूर्तियों में वीएस की 16 वीं शताब्दी का अंकन है। वीएस 1638 की एक मूर्ति है जिस पर “कम्बोई गांव” शब्द लिखा है।