Indian railway: US की टेक कम्पनी Oracle ने भारतीय रेलवे अधिकारियों को दी 3.31 करोड़ की घूस! रेलवे मंत्रालय ने शुरू की जांच | जानिए पूरा मामला

नई दिल्ली 

अमेरिका की टेक कंपनी ओरेकल (Oracle) पर  रेलवे की एक कंपनी के अधिकारियों को चार लाख डॉलर यानी करीब 3.31 करोड़ रुपए  रिश्वत देने का आरोप लगाने के बाद रेल मंत्रालय ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी जांच शुरू कर दी है।

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आरोप है कि अमेरिका की टेक कंपनी ओरेकल (Oracle) की भारतीय यूनिट ने कथित तौर पर यह घूस 2016 से 2019 के बीच रेलवे के अधिकारियों को दी गई। आपको बता दें कि रेलवे ने यह जांच तब शुरू की है जब अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने भारत के अलावा तुर्की और यूएई में अधिकारियों को घूस देने का आरोप लगाने पर ओरेकल पर 2.3 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया था।

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SEC के मुताबिक ओरेकल के मालिकाना हक वाली कंपनी ने बिजनस हासिल करने के लिए विदेशी अधिकारियों को घूस दी थी। इसके लिए उन्होंने स्लश फंड (Slush Funds) बनाया। स्लश फंड का इस्तेमाल कंपनियां गलत कार्यों के लिए करती हैं और उसका पूरा लेखा-जोखा रखा जाता है। 27 सितंबर के फैसले में अमेरिका रेगुलेटर ने कहा कि ओरेकल इंडिया (Oracle India) के कर्मचारियों ने 2019 में भारतीय रेल मंत्रालय की एक ट्रांसपोर्टेशन कंपनी से बिजनस हासिल करने के लिए एक एक्सेसिव डिस्काउंट स्कीम का इस्तेमाल किया था।

रेल मंत्रालय ने इस मामले में एक बयां जारी करते हुए कहा कि ओरेकल के मामले में एसईसी से ऑर्डर को देखते हुए भारतीय रेलवे ने इसका स्वत: संज्ञान लिया और इसकी जांच शुरू कर दी है। रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक यह इंडियन रेलवे की आंतरिक जांच है। अभी कोई दूसरे इनफोर्समेंट एजेंसी इसमें शामिल नहीं है। हालांकि अधिकारियों ने यह खुलासा नहीं किया कि रेलवे की कौन सी कंपनी इस विवाद से जुड़ी है।

रेलवे की दो बड़ी कंपनियां कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CONCOR) और डेडिकैटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (DFCC) ट्रांसपोर्टेशन से जुड़ी हैं।

एसईसी के ऑर्डर के मुताबिक रेलवे की कंपनी के अधिकारियों को करीब 330,000 डॉलर की रिश्वत दी गई जबकि 62,000 डॉलर इस ट्रांजैक्शन के लिए जिम्मेदार सेल्स कर्मचारियों को दिए गए।

रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि इस जांच को पूरा करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है। SEC का आरोप है कि कंपनी के एक कर्मचारी की स्प्रेडशीट में 67,000 डॉलर (लगभग 54,80,100 रुपये) बफर के रूप में दर्शाया गया था।

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