नई हवा ब्यूरो
SBI के पद्मकुमार माधवन नायर बने सीईओ
नाम बैड बैंक है। पर यह उन पब्लिक सेक्टर की बैंकों और वित्तीय संस्थानों का सहारा बनने वाला है जिन पर फंसे कर्ज का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। उम्मीद है कि यह बैड बैंक जून माह में शुरू हो जाएगा। आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट पेश करते हुए एक ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के रूप में बैड बैंक शुरू करने की घोषणा की थी, ताकि बैंकों को NPA से निजात मिल सके। Bad Bank बैंकों के डूबे कर्ज यानी NPA को एब्जॉर्ब कर लेगी और उनका रेजोल्यूशन ज्यादा प्रोफेशनल तरीके से करने की कोशिश करेगी। इस बैड बैंक का असल में नाम नेशनल ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (National Asset Reconstruction Company Limited- NARCL) है। केंद्र सरकार ने पद्मकुमार मंगलम नायर (Padmakumar M Nair) को इस प्रस्तावित बैड बैंक का सीईओ नियुक्त किया है।पद्मकुमार नायर अभी SBI के स्ट्रेस्ड ऐसेट्स के चीफ जनरल मैनेजर (CGM) का पदभार संभाल रहे हैं। पद्मकुमार पिछले कई वर्षं से इस पद पर काबिज हैं और उन्हें स्ट्रेस्ड ऐसेट्स के मैनेजमेंट का लंबा अनुभव है।
तेजी से बढ़ रहा फंसे कर्ज का बोझ
सूत्रों के अनुसार पंजाब नेशनल बैंक द्वारा जारी एक डॉक्यमेंट से पता चलता है कि उस पर स्ट्रेस्ड लोन करीब 20 फीसदी तक है। एसबीआई के बाद टॉप 2 सरकारी बैंकों का करीब 20 फीसदी लोन बकाया है। देश के सबसे बड़े इन सरकारी बैंकों की इस हालत से यह आसानी से समझा जा सकता है कि छोटे सरकारी बैंकों की स्थिति और कितनी चिंताजनक होगी। कोविड संबंधित कर्ज को लेकर भी इन बैंकों पर बहुत दबाव बढ़ा है। National Asset Reconstruction Company Limited- NARCL यानी बैड बैंक के गठन के बाद इन बैंकों को अपनी लोन बुक क्लीन करने में मदद मिलेगी. बीते एक दशक के दौरान इन बैंकों में रिकॉर्ड स्तर पर लोन्स फंसे कर्ज में तब्दील हुए हैं।

कैसे कम करेगा बैड बैंक
Bad Bank स्ट्रेस्ड ऐसेट्स को कम कीमत पर निवेशकों को बेचेगी और निवेशक कर्ज लेने वालों से इसकी वसूली करेंगे। आपको बता दें भारतीय बैंकों का NPA इनके द्वारा बांटे गए कुल कर्ज का करीब 8% है। वहीं, कोरोना वायरस महामारी के कारण बैंकों का NPA और बढ़ने की आशंका है। दरअसल बैंकों की फंसे हुए कर्ज या बुरी संपत्ति को टेकओवर करने और उनका समाधान करने वाले वित्तीय संस्थान को बैड बैंक कहा जाता है। बैड बैंक (Bad bank) एक आर्थिक अवधारणा है जिसके अंतर्गत आर्थिक संकट के समय घाटे में चल रहे बैंकों द्वारा अपनी देयताओं को एक नए बैंक को स्थानांतरित कर दिया जाता है। बैड बैंक के नवनियुक्त सीईओ पद्मकुमार मंगलम नायर को बैड लोन से जुड़े कार्यों का लंबा एक्सपीरियंस भी है। इस नियुक्ति से उम्मीद है कि जून से बैड बैंक की शुरुआत की जा सकती है। पिछले दिनों ही इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के सीईओ सुनील मेहता ने कहा था कि नेशनल असेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (NARCL) या बैड बैंक अगले महीने यानी जून से शुरू हो सकता है। सुनील मेहता ने कहा था कि बैड बैंक की स्थापना में सरकारी और प्राइवेट बैंकों की भागीदारी रहेगी। उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा फायदा पहचाने गए नॉन-परफॉर्मिंग असेट्स (NPAs) को एकत्र करना रहेगा। लीड बैंक NPA की बिक्री का ऑफर पेश करेगा। वहीं, अन्य असेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनियों को NPA खरीदने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
आम बैंकों से इस तरह अलग होगा बैड बैंक
बैड बैंक सामान्य बैंकों की तरह पैसे जमा करने, खाता खोलने या लोन देने का काम नहीं करेगा। बल्कि ये बैंक किसी बैंक की तरह नहीं, बल्कि कंपनी की तरह काम करेंगे। आम नागरिकों की जमा पूंजी से उनका कोई लेना-देना नहीं होगा। बैड बैंक की स्थापना में सरकारी और प्राइवेट बैंकों की भागीदारी रहेगी। इसका संबंध सिर्फ NPA से है। बैड बैंक को असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) भी कहा जाता है। यह दूसरे बैंकों के NPA को खरीदता है और धीरे-धीरे उन कर्जों की वसूली करता है। इस तरह, लोन देने वाले बैंक की बैलेंस शीट में NPA कम हो जाता है।
IBA ने पिछले साल दिया था बैड बैंक का प्रस्ताव
NPA के आसान समाधान के लिए IBA ने पिछले साल बैड बैंक की स्थापना का प्रस्ताव दिया था। सरकार ने इस प्रस्ताव को मानते हुए सेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी (ARC) या असेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) की तर्ज पर बैड बैंक खोलने की बात कही। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के सीईओ सुनील मेहता का कहना है कि बैड बैंक लोन की वैल्यू का 15% कैश में देगा। शेष 85% वैल्यू सरकार की ओर से गारंटिड सिक्योरिटी के रूप में दी जाएगी। यदि वैल्यू के मुकाबले में नुकसान होता है तो सरकारी गारंटी को भुनाया जा सकेगा।
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बैड बैंक को फ्रॉड लोन नहीं दिए जाएंगे
इस बीच आरबीआई ने साफ किया कि फ्रॉड घोषित किए गए लोन बैड बैंक को नहीं दिए जाएंगे। आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च 2020 तक 1.9 लाख करोड़ रुपए के लोन को फ्रॉड घोषित किया गया था।आरबीआई ने असेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी को लेकर 2003 में रेगुलेटरी गाइडलाइंस जारी की थी।
नया नहीं है बैड बैंक का आइडिया
आपको बता दें कि वैसे NPA की समस्या से निपटने का यह आइडिया नया नहीं है। 2018 में भी सरकार ने पब्लिक सेक्टर बैंक (PSB) की समस्या से निपटने के लिए ‘प्रोजेक्ट सशक्त’ लाने का ऐलान किया था। इसमें PSB के बैड लोन री-कंस्ट्रक्शन के लिए पांच पॉइंट की योजना बनाई गई थी।
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