बात तो तब है जब मैं सुंदर न भी दिखूं, तब भी वो मुझे उतना ही प्यार करे। बालों में आयी धीरे-2 सफेदी का मज़ाक न करे, जन पहले से बढ़ गया हो तब भी मेरे इस रूप को आत्मसात करे।
बातें कभी-2 पुरुषों से भी करनी पड़ जाती है, तब वो मुझे अपना समझे, मुझ पर विश्वास करे। हो सकता है कि मैं कभी आर्थिक मदद न कर पाऊँ, मेरे हाउस वाइफ होने पर भी वो कोई एतराज़ न करे।
पार्लर जाऊं या न जाऊँ मेरी मर्ज़ी, पर मेरी बढ़ी हुई ऑय ब्रो और चेहरे पर आई फाइन लाइन्स देख कर भी मुझे प्यार करे।
कभी बेढंगे से ओवर साइज कपड़े पहनने पड़ जाते हैं मुझे जिन्हें देखकर भी वो एतराज़ न करे। आज नहीं था मन मेरा खाना पकाने का, तो न सही, चलो मैं बना देता हूं ऐसा बोलकर मुझे प्यार करे।
कभी-2 होता है मेरा मन बस ख़ामोश सी रहूं चुपचाप, कोई न हो आस पास। तब वो समझे मेरे ज़ज़्बात और मेरे पास बैठकर कम से कम दो बातें करे।