नई दिल्ली
भारतीय रेलवे में 35 साल तक काम करने के बाद एक अफसर ने अपने वरिष्ठ अधिकारी से कहासुनी के बाद पहले तो VRS ले लिया और अब उसने नौकरी वापस पाने के लिए अर्जी लगाईं है। इस पर रेलवे ने इस अफसर की नौकरी वापस करने से इंकार कर दिया तो अब इस अफसर ने नौकरी की बहाली के लिए केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की शरण ली है। कैट ने मामले में नोटिस भी जारी कर दिए हैं। VRS लेने वाले इस अफसर ने अपनी अर्जी में नौकरी वापस मांगने के पीछे दिलचस्प वजह बताई है।
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दरअसल 56 साल के दिनेश कपिल ने अपने से वरिष्ठ अधिकारी से अनबन के बाद संभागीय ट्रेन नियंत्रक के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लिया था। लेकिन, अब वह अपनी नौकरी वापस पाना चाहते हैं। दिनेश कपिल ने अपना स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) आवेदन वापस लेने के लिए अपने विभाग को पत्र लिखा था, लेकिन उससे इनकार कर दिया गया। इसलिए उन्होंने कैट में यह कहते हुए अर्जी लगा दी कि उनकी जगह जिस अधिकारी ने ली है वह इस काम के योग्य नहीं है। उसे ‘‘ऐसे महत्वपूर्ण पद पर पदोन्नत किए जाने से पहले और परिपक्व होने की जरूरत है।’’ लिहाजा उनका VRS रद्द कर नौकरी वापस दिलाई जाए।
विशेष सैन्य मालगाड़ी को जाना था धौलपुर, पहुंचा दी जयपुर
दिनेश कपिल के वीआरएस आवेदन के बाद नियंत्रण विभाग के प्रमुख का पद ज्ञान सिंह ने मार्च, 2021 में संभाला था। ज्ञान सिंह से तब ही एक बड़ी चूक हो गई। उन्होंने दिल्ली आने वाली विशेष सैन्य मालगाड़ी को जयपुर भेज दिया था। रेलवे द्वारा सिंह के खिलाफ पारित आदेश में कहा गया है कि सेना की विशेष मालगाड़ी को धौलपुर (राजस्थान) से तुगलकाबाद (दिल्ली) पहुंचना था, लेकिन भ्रम की स्थिति में उन्होंने उसे अलवर की ओर भेज दिया और वह मालगाड़ी जयपुर पहुंच गयी। इसे लेकर रेलवे की बहुत किरकिरी हुई थी। हालांकि, सिंह के सहकर्मियों ने उनका बचाव किया और कहा कि यह सिर्फ उनकी गलती नहीं है, बल्कि पूरी टीम की गलती है। दिनेश कपिल ने अपनी अर्जी में नौकरी वापस पाने के लिए इसी प्रकरण को आधार बनाया है।
उनका कहना है कि दुर्भाग्यवश सिंह उस टीम का हिस्सा थे। आगरा के संभागीय रेल प्रबंधक आनंद स्वरूप ने भी कपिल के आरोपों को खारिज किया और कहा, ‘‘दिनेश कपिल के खिलाफ गंभीर आरोप है और इसलिए हमने उनकी वीआरएस की अर्जी स्वीकार की है।’’
वहीं, मौजूदा विवाद तीन नवंबर, 2022 का है जब दिनेश कपिल की उनके वरिष्ठ अधिकारी वरिष्ठ संभागीय संचालन प्रबंधक कुलदीप मीणा से कहासुनी हो गई। कपिल का आरोप है कि मीणा ने उन्हें VRS लेने के लिए उकसाया और इसी उकसावे में उन्होंने तत्काल इसके लिए आवेदन दे दिया। इसके चार दिन बाद सात नवंबर को कपिल को पता चला कि मुख्य नियंत्रक ज्ञान सिंह ने उनकी जगह ले ली है और नियंत्रण विभाग के प्रमुख बन गए हैं। कपिल ने कहा, ‘‘अगले ही दिन, आठ नवंबर को मैंने लिखित में अपना VRS वापस लेने की इच्छा जतायी क्योंकि सिंह की पदोन्नति मेरे लिए आश्चर्य की बात थी। मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि ऐसे महत्वपूर्ण पद पर पदोन्नति से पहले उन्हें नियंत्रक की नौकरी के लिए और परिपक्व होने का समय दिया जाना चाहिए।’
वहीं, वीआरएस की अर्जी वापस लेने संबंधी दिनेश कपिल के अनुरोध के विपरीत संभाग ने उसे तत्काल स्वीकार कर लिया और 11 नवंबर को उन्हें लिखित में इसकी सूचना भी दे दी। कपिल ने इस फैसले के लिए 28 नवंबर को कैट का रुख किया। कपिल के वकील नीलांश गौड़ का कहना है, ‘‘अधिकरण ने 29 नवंबर को मामले की सुनवाई करते हुए रेलवे को नोटिस जारी किया था और मामले में यथास्थिति बनाए रखने को कहा था। उन्होंने (रेलवे) अगली सुनवाई के दिन, 19 दिसंबर को कोई जवाब दाखिल नहीं किया। अधिकरण ने अब अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी (2023) की तारीख तय की है। रेलवे ने अभी तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया है।’’
वहीं, कपिल ने अपने जिन वरिष्ठ अधिकारी के साथ कहासुनी की बात कही है, उन्होंने (कुलदीप मीणा) कहा कि इस मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है। मीणा ने कहा, ‘‘हमने उनसे कुछ सूचनाएं मांगी थीं और उनका दायित्व बनता है कि वह हमारे आदेश का पालन करें। इसके विपरीत, उन्होंने (कपिल) कहा ‘मैं तो वीआरएस अपनी जेब में रख कर घूमता हूं। हमने उनसे (वीआरएस) लेने को कहा। अब उन्हें पछतावा हो रहा है।’’ उन्होंने कहा कि कपिल अपनी अकड़ के कारण इस वक्त परेशानी में हैं।
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