बाल कविता
डॉ.अंजीव अंजुम
ये तिरंगा हमारा ये अभिमान है।
ये झंडा नहीं हिंदुस्तान है।।
कृष्ण का ये सुदर्शन, धनुष राम का,
ज्ञान नानक, महावीर के नाम का,
बुद्ध है ये हमारा, ये रहमान है।
ये झंडा नहीं हिंदुस्तान है।।
गांधी का सत्य है, लाल की आस्था,
ये तिलक बॉस की क्रांति का रास्ता,
ये ही आजादी की, एक पहचान है।
ये झंडा नहीं हिंदुस्तान है।।
ये गंगा की पावन अमल धार है,
ये हिमालय के मस्तक का सिंगार है,
हिंद सागर की लहरों का ये गान है।
ये झंडा नहीं, हिंदुस्तान है।।
तीन रंगों में लिपटा सकल देश है,
क्रांति में प्रेम का पलता परिवेश है,
हम सभी के दिलों की ये मुस्कान है।
ये झंडा नहीं हिंदुस्तान है ।।
ये झांसी की रानी की शमशीर है,
जलियांवाला की जीवंत तस्वीर है,
देशभक्तों के जीवन का अरमान है।
ये झंडा नहीं, हिंदुस्तान है ।।
(लेखक प्रधानाध्यापक एवं राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी जयपुर की पत्रिका ब्रजशतदल के सहसंपादक हैं )
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