यहां जन्मे संत और सेनानी

गणतंत्र दिवस 

कैलाश चन्द गुप्ता (ताम्बी) ‘हिन्दुस्तानी’ बालाहेडी (दौसा) वाले


वीर प्रसूता, पुण्य धरा ये,
यहां जन्मे संत और सेनानी,
शौर्य की गाथाएं गाती,
वीरों की यहां अमर कहानी।

हिन्दू कुलभूषण प्रताप,
यहां जन्मे छत्रपति सरदार,
राजगुरु, सुखदेव, भगतसिंह,
हुए लौहपुरुष से पैरोकार,
बलिदानों की पुण्य धरा ये
धरती ये बलिदानी,
वीर प्रसूता, पुण्य धरा ये,
यहां जन्मे संत और सेनानी।

अशफाक, बिस्मिल, रोशन, लाहिड़ी,
हुए नेहरू, गांधी, तिलक और पाल,
चंद्रशेखर आजाद हुए यहां,
हुए वीर सुभाष जैसे मां के लाल,
राजेन्द्र प्रसाद, अंबेडकर हुए यहां,
हुई यहां लक्ष्मीबाई मर्दानी,
वीर प्रसूता, पुण्य धरा ये,
यहां जन्मे संत और सेनानी।

गुरुगोविंद सिंह, तेगबहादुर,
तांत्या टोपे, नाना साहब,
अनगिनत कुर्बान हुए यहां,
जिनने देखा आजादी का ख्वाब,
लाजपत, गोखले, राधाकृष्णन
हुए यहां हेमू कालानी,
वीर प्रसूता, पुण्य धरा ये,
यहां जन्मे संत और सेनानी।

हाकिम सूरी, राणा पुंजा,
तेजावत, गोविंद गुरु नाम,
आजादी की अमर कहानी,
कहता है यहां मानगढ़ धाम,
जलियांवाला नरसंहार
है आजादी की अमर निशानी,
वीर प्रसूता,पुण्य धरा ये,
यहां जन्मे संत और सेनानी।

राणा सांगा, बप्पा रावल,
कुम्भा और हम्मीर हुए,
अमरसिंह, दुर्गादास हुए यहाँ,
पौरुष से शूरवीर हुए,
इतिहासों में स्वर्णाक्षरांकित,
हुई पन्नाधाय सुत की कुर्बानी,
वीर प्रसूता,पुण्य धरा ये,
यहाँ जन्में संत और सेनानी।
संभाजी,छत्रपति साहू,
गोकुल,जवाहर, सूरजमल,
वीर शिरोमणि जयमल,पत्ता,
हुए यहाँ पर आल्हा-ऊदल,
पद्मिनी ने किया यहाँ जौहर,
शीश काट दिया हाड़ा रानी,
वीर प्रसूता,पुण्य धरा ये,
यहां जन्मे संत और सेनानी।

लीलाधर श्रीकृष्ण हुए यहां,
हुए मर्यादा पुरुषोत्तम राम,
ब्रह्मा जी स्वयं हुए अवतरित,
यहीं बैकुंठ और कैलाश धाम,
नानक, तुलसी, कबीर, हुए यहां
हुए सूरदास, मीरा दीवानी,
वीर प्रसूता,पुण्य धरा ये,
यहां जन्मे संत और सेनानी।

 


गणतंत्र: तब और अब

दादू,सुंदर, वल्लभाचार्य,
रामानुज, चैतन्य, रसखान,
संतों की यह पावन धरती,
हुए यहां रैदास महान,
निम्बार्क, रामानन्द,नामदेव
हुए आदि गुरु से यहां ज्ञानी,
वीर प्रसूता, पुण्य धरा ये,
यहां जन्मे संत और सेनानी।

अखिल विश्व को हिन्दू दर्शन
विवेकानंद ने समझाया,
वेदों की ओर लौटो
ये दयानंद ने बतलाया,
संत सुधारक हुए यहां पर,
हुए कर्ण सरीखे यहां दानी,
वीर प्रसूता, पुण्य धरा ये,
यहां जन्मे संत और सेनानी।

कपिल,कणाद,पाणिनि हुए यहां,
हुए सुश्रुत,वराहमिहिर और चरक,
देव धरा ये भरतभूमि है,
नहीं इसमें कोई तनिक फर्क,
योग प्रवर्तक पतंजलि हुए,
हुए आर्यभट्ट से यहां ज्ञानी,
वीर प्रसूता, पुण्य धरा ये,
यहां जन्मे संत और सेनानी।

(लेखक राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, ओड़ा (झाड़ोल) उदयपुर में प्रधानाचार्य हैं)