ओ! मलिन जमुना जल…

बहौ
ओ! मलिन जल
जमुना बहौ
जे तन वृंदावन अरु

ओस की बिंदिया सजाकर…

जब अघाने छेड़ते हैं, बात मेरे गांव की।
हृदय के गहराव में इक, धूल के ठहराव की।

मैं अक्षर तुम मात्रा…

मैं अक्षर हूं एक तुम्हारा, तुम मेरी मात्रा हो।
मैं कदमों सा एक बटोही, तुम जैसे यात्रा हो।।

दौसा के अंजीव अंजुम को हिंदी संस्थान लखनऊ का कृष्ण विनायक फड़के बाल साहित्य समीक्षा सम्मान

दौसा के वरिष्ठ बाल साहित्यकार डॉ. अंजीव अंजुम को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा संचालित बाल साहित्य संवर्धन योजना के अंतर्गत राज्य के अन्य आठ बाल

कैसे लिख दूं धूप फागुनी, आज रंगीली है

कैसे लिख दूं धूप फागुनी, आज रंगीली है।
हरिया के छप्पर से महंगी, माचिस तीली है।।

आओ भारत नया बनाएं

नई लीक पर
नई सीख पर
नए सृजन की
राह सजाएं।

तिरंगा

ये तिरंगा हमारा ये अभिमान है। ये झंडा नहीं हिंदुस्तान है।। कृष्ण का ये सुदर्शन, धनुष राम का

डॉ.अंजीव अंजुम को मिलेगा बाल साहित्यश्री सम्मान

हिंदी और बृज भाषा के साहित्यकार , बृज भाषा साहित्य अकादमी , जयपुर की पत्रिका बृज शतदल के सहयोगी संपादक एवं अनुराग सेवा संस्थान के सह संयोजक डॉ. अंजीव अंजुम को…