जयपुर
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रविवार को पत्रकारों से बातचीत करने के दौरान सलाहकार और संसदीय सचिव नियुक्त करने के सरकार के फैसले पर विरोधियों पर जमकर बरसे और साफ संकेत दिया कि वे संसदीय सचिवों की नियुक्ति करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि बिना बात इस विषय को मुद्दा बनाया जा रहा है। मुख़्यमंत्री ने कहा कि यह उनकी मर्जी है कि किसको अपना सलाहकार बनाऊं और किसको संसदीय सचिव।
हमने कोई मंत्री का दर्जा नहीं दिया
गहलोत ने कहा कि वे किसी को भी सलाहकार बना सकते हैं। इसके लिए उन्हें कोई पूछ नहीं सकता है। गहलोत ने कहा संसदीय सचिव भी पहले से बनते आए हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें राज्य मंत्री का स्टेटस नहीं मिलता। गहलोत ने साफ़ किया कि हमने सिर्फ सलाहकारों की नियुक्ति की है, कोई मंत्री का दर्जा देने का आदेश नहीं निकाला। उन्होंने कहा कि विवाद का विषय तब होता जब जब हम उन्हें मंत्री का दर्जा दे देते।
गहलोत ने कहा मैंने अपने सलाहकार बनाए हैं। मैं मीडिया से भी सलाहकार बना सकता हूं, मुख्यमंत्री किसी को भी सलाहकार बना सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन 6 विधायकों को सलाहकार बनाया गया है। उनमें मैं अगर 5 मीडिया वाले भी जोड़ लूं,तो कौन मुझसे कुछ पूछ सकता है। मैं सलाह ही तो ले रहा हूं और क्या कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि हम लोग सरकार चला रहे हैं। मैं चाहूं तो एमएलए-एमपी, पत्रकारों , इंटेलेक्चुअल और साहित्यकारों को सलाहकार बना दूं। मुझे कौन पूछ सकता है। यह समझ के परे हैं कि बिना मतलब इसे इश्यू बनाया जा रहा है कि सलाहकार कैसे बना दिए।
हमें भी है कानून की जानकारी
गहलोत ने कहा कि हमें भी कानून की जानकारी है। यह भी जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने क्या कह रखा है। राज्यों में क्या फैसले हुए हैं और क्या होना चाहिए। गहलोत ने कहा कि सबको मालूम है कि पहले संसदीय सचिव बनते थे, उनकी शपथ होती थी। मुख्यमंत्री शपथ दिलाते थे। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट यानी लाभ के पद में वो आते थे। सोनिया गांधी, जया बच्चन ने इस्तीफा दिया। सबको मालूम है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोई भी राज्य सरकार उन्हें राज्य या कैबिनेट मंत्री का दर्जा और तनख्वाह नहीं दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें घटाकर संसदीय सचिव, एडवाइजर बनाने पर कौन रोकेगा।
गहलोत ने कहा कि यदि गलती से हम आदेश निकाल देते, तो मीडिया का हक है कि आप पब्लिक इंट्रेस्ट में एक्सपोज करते। जिस तरह मीडिया अलग-अलग जिलों में हालात जानने जाती है। मेरे सलाहकार जाएंगे तो क्या दिक्कत है। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से कहा कि मुख्यमंत्री सलाहकार नियुक्ति मामले में आरोप लगाने वाले यदि थोड़ा गहराई में जाते तो उन्हें समझ में आ जाता।
राज्य मंत्री बनाए गए राजेंद्र गुढ़ा के अब तक पद न संभालने पर गहलोत ने कहा कि मैं और पीसीसी अध्यक्ष उनसे बात करेंगे और कोई रास्ता निकाल लेंगे। गहलोत ने कहा कि उनकी अपनी कोई नाराजगी हो सकती है। यह गुढ़ा के मंत्री बनाए जाने के बाद किसी और विधायक के मन में कोई पीड़ा हो सकती है। गहलोत के अनुसार जो मंत्री नहीं बन पाए ऐसा नहीं है कि वह काबिल नहीं होंगे लेकिन हमारी भी मजबूरी है कि 30 से अधिक मंत्री नहीं बना सकते।
क्या आपने ये खबरें भी पढ़ीं?
- चिकित्सकों के लिए कानूनी ढाल तैयार | डीएमए इंडिया ने बनाई राष्ट्रीय लीगल एडवाइजर्स टीम, सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट तक मजबूत नेटवर्क
- उदयपुर से दिल्ली तक नाम रोशन | पीयूषा शर्मा को पीएम फेलोशिप, ब्रोकली पर होगा हाई-लेवल रिसर्च
- वेतन कटौती और 12 घंटे ड्यूटी के विरोध में हड़ताल पर गए राजस्थान के 108-104 एम्बुलेंसकर्मी
- दौसा को मिला रोटरी में बड़ा सम्मान,रो. नवल खंडेलवाल बने रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3056 के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी
- ठिठुरती शाम…
- 2434 करोड़ का बैंक फ्रॉड उजागर, PNB के लोन डूबे, SREI समूह की दो कंपनियां कटघरे में
- सात दिन; संस्कार और सेवा की साधना, RD Girls College में NSS शिविर का सांस्कृतिक-खेल उत्सव के साथ समापन
- भ्रष्टाचार पर ये कैसा जीरो टॉलरेंस! ACB के 600 से ज्यादा केस फाइलों में कैद, विभागों ने रोक रखी अभियोजन की चाबी
- स्टेट हाईवे पर मौत की रफ्तार | ट्रेलर–बोलेरो भिड़ंत, 5 की मौत, पूरा परिवार उजड़ गया
- नियम बदले तो भविष्य अंधकारमय! | संविदा नर्सेज ने काली पट्टी बांधकर सरकार को चेताया—भर्ती हो मेरिट + बोनस से
