नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और अन्य बोर्ड द्वारा आयोजित की जाने वाली 10वीं और 12वीं कक्षा की ऑफलाइन बोर्ड परीक्षा ( board exams 2022 ) रद्द किए जाने की मांग वाली याचिका याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस तरह की याचिकाएं भ्रामक हैं और छात्रों को झूठी उम्मीद देती हैं।
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि आपकी याचिका पर विचार करने का मतलब है कि और ज्यादा कन्फ्यूजन करना। पहले ही आपने जनहित याचिका के नाम पर ये अर्जी दाखिल कर छात्रों और अभिभावकों के बीच बहुत कन्फ्यूजन किया हुआ है। कोर्ट ने कहा कि आपको जो कहना है ऑथोरिटी को जाकर बताएं।
कोर्ट ने कहा, “पिछले चार दिनों से आप ऐसी जनहित याचिका के जरिए न केवल कन्फ्यूजन बढ़ा रहे हैं, बल्कि छात्रों में झूठी उम्मीदें बढ़ा रहे हैं. ये गैरजिम्मेदाराना ढंग से जनहित याचिका का दुरुपयोग है। लोग भी कैसी कैसी याचिका दाखिल कर देते हैं।“
याचिका 10वीं एवं 12वीं कक्षाओं के बोर्ड की प्रस्तावित शारीरिक (कक्षाओं में बैठकर) परीक्षाएं रद्द करने तथा गत वर्ष की तरह वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति से परीक्षा परिणाम घोषित करने के निर्देश देने की मांग के लिए दायर की गई थी। अधिवक्ता प्रशांत पद्मनाभन ने शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई थी। कोविड-19 से उत्पन्न समस्या का हवाला देते हुए उन्होंने पीठ के समक्ष कहा कि 2 सालों से वही समस्या बनी हुई है। कोविड में सुधार के बाद भी ऑफलाइन कक्षाएं नहीं चलाई गई हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कक्षाएं ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की गई हैं, इसलिए शारीरिक रूप से परीक्षा आयोजित कराना उचित नहीं होगा।
याचिका में अदालत से ऑफलाइन/ शारीरिक तौर पर परीक्षा के बजाय वैकल्पिक यानी पिछले साल की तरह के वद्यिार्थियों के पिछले शैक्षणिक परिणाम, कक्षाओं में आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर हो तथा इसी पद्धति पर आगे के परिणाम घोषित करने की व्यवस्था की जाए।
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