Myanmar
भारत (Bharat) के पड़ोसी देश म्यांमार (Myanmar) (Burma) का पश्चिमी हिस्सा विद्रोह की लपटों में जल रहा है, और यहां एक नए राष्ट्र का जन्म किसी भी समय हो सकता है। यूनाइटेड लीग ऑफ अराकान (ULA) और इसकी सैन्य शाखा अराकान आर्मी ने स्वतंत्रता की लड़ाई को निर्णायक मोड़ पर पहुंचा दिया है। विद्रोहियों ने म्यांमार यूनियन के रखाइन (पूर्व में अराकान) राज्य के 18 में से 15 शहरों पर कब्जा कर लिया है।
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सित्तवे और क्याउकफ्यू: लड़ाई के निर्णायक मोर्चे
अराकान आर्मी के कब्जे से तीन अहम स्थान—सित्तवे पोर्ट, क्याउकफ्यू पोर्ट, और मुआनांग शहर—फिलहाल म्यांमार की सेना के नियंत्रण में हैं। इन स्थानों का रणनीतिक और आर्थिक महत्व इतना अधिक है कि भारत और चीन जैसे देशों को अपने निवेश की सुरक्षा के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। सित्तवे पोर्ट भारत के कालाधन मल्टीमॉडल प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जबकि क्याउकफ्यू पोर्ट चीन का आर्थिक दांव है।
बंगाल की खाड़ी तक विद्रोहियों का नियंत्रण
अराकान आर्मी ने हाल ही में ग्वा और अन जैसे रणनीतिक शहरों पर कब्जा कर लिया है। बांग्लादेश की सीमा पर स्थित माउंगडॉ नगर पर भी उनका कब्जा हो चुका है। इससे अब बंगाल की खाड़ी और बांग्लादेश सीमा तक विद्रोहियों का दबदबा हो गया है। यदि ये विद्रोही पूरे रखाइन प्रांत पर कब्जा कर लेते हैं, तो यह एशिया में 1971 के बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम के बाद पहला सफल अलगाववादी आंदोलन होगा।
जनवरी 2024 में चीन की मध्यस्थता में हुए हाइगेंग समझौते के तहत, यूनाइटेड लीग ऑफ अराकान और म्यांमार की सेना ने बातचीत का प्रस्ताव रखा है। अराकान आर्मी ने चीन और भारत को आश्वासन दिया है कि उनके निवेश सुरक्षित रहेंगे और अराकान के विकास में विदेशी सहयोग का स्वागत किया जाएगा।
क्या होगी स्वतंत्रता की घोषणा?
हालांकि अराकान आर्मी के पास अधिकांश क्षेत्र का नियंत्रण है, लेकिन वे सित्तवे और क्याउकफ्यू पर आक्रमण करने से पहले भारत और चीन की प्रतिक्रियाओं का आकलन कर सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि राजनयिक मान्यता के बिना स्वतंत्रता की घोषणा अधूरी होगी।
थ्री ब्रदरहुड अलायंस: विद्रोहियों की ताकत
अराकान आर्मी के साथ तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी (TNLA) और म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (MNDAA) भी इस लड़ाई का हिस्सा हैं। ये तीनों मिलकर थ्री ब्रदरहुड अलायंस बनाते हैं। हालांकि चीन के दबाव में बातचीत शुरू करने पर सहमति बनी है, लेकिन लाशियो जैसे सैन्य मुख्यालय को वापस करने से उन्होंने इनकार कर दिया है।
एशिया का नया सीरिया?
विशेषज्ञों का मानना है कि म्यांमार की स्थिति मध्य-पूर्व के सीरिया जैसी होती जा रही है। लेकिन इस क्षेत्रीय संकट ने अभी तक वैश्विक स्तर पर वैसा ध्यान आकर्षित नहीं किया है जैसा होना चाहिए। आपको बात दें कि म्यान्मार दक्षिण एशिया का एक देश है, जिसका भूतपूर्व नाम बर्मा/ ब्रह्मा या ब्रह्मदेश था। इसका आधुनिक बर्मी नाम ‘म्यन्मा’ है। बर्मी भाषा में र का उच्चारण य किया जाता है अतः बर्मी में सही उच्चारण म्यन्मा है।
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