आगरा
बुजुर्गों की एक ही चाहत होती है कि उम्र के आखिरी पड़ाव में बच्चे उनका सहारा बनें। लेकिन उत्तरप्रदेश के आगरा में एक 88 वर्षीय बुजुर्ग अपने बेटों के व्यवहार से इतना दुखी हुआ कि उसने अपनी करोड़ों की प्रॉपर्टी आगरा DM के नाम ही कर दी। इस प्रॉपर्टी की कीमत करीब दो करोड़ से ज्यादा बताई जाती है। अब इस वसीयत की खूब चर्चा हो रही है।
इन बुजुर्ग का नाम है गणेश शंकर पांडेय और वे आगरा के थाना छत्ता अंतर्गत निरालाबाद, पीपल मंडी में रहते हैं। उन्होंने करोड़ों की संपत्ति को जिलाधिकारी के नाम रजिस्टर बैनामा कर जिला प्रशासन को सुपुर्द कर दी है। बुजुर्ग का कहना है कि, बेटे और परिजनों से परेशान होकर उन्होंने यह कदम उठाया है। बुजुर्ग ने वसीयत की कॉपी आगरा सिटी मजिस्ट्रेट को भी सुपुर्द कर दी है।
बुजुर्ग का कहना है कि जब बच्चे उनका ख्याल नहीं रख सकते हैं, तो वो भी अपनी संपत्ति उन्हें देना नहीं चाहते हैं। बुजुर्ग गणेश शंकर पांडे ने अपने भाई नरेश शंकर पांडे, रघुनाथ और अजय शंकर के साथ मिलकर 1983 में 1 हजार गज जमीन खरीद कर आलीशान घर बनवाया था। मकान की कीमत लगभग 13 करोड़ है। वक्त के साथ चारों भाइयों ने अपना बंटवारा कर लिया। वर्तमान में गणेश शंकर चौथाई मकान के मालिक हैं। जिसकी कीमत लगभग दो करोड़ से ज्यादा है।
भाइयों के यहां ले रखी है शरण
गणेश शंकर ने बताया कि उनके दो बेटे हैं, जो घर में रहते हुए भी उनका ध्यान नहीं रखते हैं। उनको दो वक्त के भोजन के लिए भाइयों पर आश्रित होना पड़ रहा है। समझाने पर बेटों ने उनसे नाता तोड़ दिया। इस बात से खफा होकर उन्होंने अपनी सारी संपत्ति डीएम आगरा के नाम कर दी। वर्तमान में वो अपने भाइयों के साथ रह रहे हैं और एक ही घर में होते हुए बेटों से दूर हैं।
तीन साल पहले ही लिख दी थी वसीयत
बुजुर्ग गणेश शंकर ने 4 अगस्त 2018 को ही डीएम आगरा के नाम प्रॉपर्टी की वसीयत कर दी थी। अब कलेक्ट्रेट जाकर जनता दर्शन में उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट प्रतिपाल चौहान को रजिस्टर्ड वसीयत सौंपी है। सिटी मजिस्ट्रेट प्रतिपाल चौहान ने बताया कि उन्हें वसीयत प्राप्त हुई है। जो जगह उन्होंने डीएम आगरा के नाम की है, उसकी करोड़ों की कीमत है। वसीयत की एक प्रति उनके भाइयों के पास भी है और भाइयों को इस बात से कोई ऐतराज नहीं है।
गणेश शंकर पांडे ने बताया कि घर में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है। सभी सम्पन्न हैं लेकिन फिर भी उनका बड़ा बेटा दिग्विजय उन्हें परेशान कर संपत्ति से अपना हिस्सा मांगता है। छोटा बेटा भी कुछ नहीं कहता। उन्होंने उसे घर से बाहर भी निकाल दिया। उन्होंने अपने भाई के यहां शरण ली हुई है। उन्होंने और उनके भाइयों ने दोनों बेटे को काफ़ी समझाने की कोशिश की लेकिन वह समझने को तैयार नहीं है। बड़ा बेटा दिग्विजय शंकर पांडे लगातार उन्हें संपत्ति के लिए बहुत परेशान कर रहा है जिससे आजिज आकर उन्होंने यह संपत्ति जिलाधिकारी के नाम कर दी है।
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