नई दिल्ली
भारत की 81% उच्च शिक्षा को झटका! स्टेट पब्लिक यूनिवर्सिटीज़ (SPUs) में शिक्षकों की भारी कमी, जर्जर इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिसर्च संसाधनों की दयनीय स्थिति ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देशभर की स्टेट यूनिवर्सिटीज़ में 40% से ज्यादा फैकल्टी पद खाली पड़े हैं, जिससे छात्रों की शिक्षा और रिसर्च प्रभावित हो रही है। रिपोर्ट सीधे तौर पर सरकार को आगाह कर रही है कि अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह चरमरा सकती है।
नीति आयोग की रिपोर्ट के बड़े खुलासे
🔴 40% से ज्यादा फैकल्टी पद खाली, छात्रों को नहीं मिल रही सही गाइडेंस
🔴 सिर्फ 10% स्टेट यूनिवर्सिटीज़ के पास रिसर्च के संसाधन, बाकी के हालात बदतर
🔴 स्टूडेंट-टीचर अनुपात 30:1 तक पहुंचा, जबकि होना चाहिए था 15:1
🔴 सिर्फ 32% यूनिवर्सिटी के पास डिजिटल लाइब्रेरी, रिसर्च के लिए संसाधनों की भारी कमी
🔴 पुराने भवन और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी, उच्च शिक्षा में गिरावट जारी
स्टेट यूनिवर्सिटीज़ में शिक्षा की बिगड़ती हालत
भारत में स्टेट यूनिवर्सिटीज़ 3.25 करोड़ से अधिक छात्रों को शिक्षा देती हैं और ये सस्ती व समावेशी शिक्षा का बड़ा जरिया हैं। लेकिन पुरानी इमारतें, कमजोर रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल संसाधनों की कमी के कारण छात्रों का भविष्य खतरे में है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर सरकार GDP का 6% हिस्सा शिक्षा क्षेत्र में निवेश नहीं करती, तो यह संकट और गहरा सकता है।
फैकल्टी की भारी कमी – छात्रों का भविष्य अधर में
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर की स्टेट यूनिवर्सिटीज़ में 40% से ज्यादा फैकल्टी पद खाली हैं। उच्च शिक्षा के संस्थानों में छात्र-शिक्षक अनुपात 30:1 तक पहुंच चुका है, जो किसी भी अच्छे विश्वविद्यालय के लिए बेहद खराब स्थिति मानी जाती है। इससे न सिर्फ छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि रिसर्च और नवाचार भी रुक गए हैं।
रिसर्च और सुविधाओं की हालत खस्ता
स्टेट यूनिवर्सिटीज़ में रिसर्च के हालात बेहद चिंताजनक हैं। सिर्फ 10% यूनिवर्सिटीज़ में रिसर्च के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं, जबकि बाकी के पास बेसिक सुविधाएं भी नहीं हैं। डिजिटल लाइब्रेरी की बात करें तो केवल 32% यूनिवर्सिटीज़ के पास ही पूरी तरह काम करने वाली डिजिटल लाइब्रेरी मौजूद है।
NAAC की प्रत्यायन फीस बनी सरकारी कॉलेजों की सबसे बड़ी बाधा
नीति आयोग की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सरकारी कॉलेजों के लिए NAAC (राष्ट्रीय प्रत्यायन और मूल्यांकन परिषद) की हाई कॉस्ट एक बड़ा मुद्दा है। इसकी वजह से कई कॉलेज क्वालिटी सुधार के फंड से वंचित रह जाते हैं।
नीति आयोग की सिफारिशें – सरकार को करना होगा बड़ा निवेश
नीति आयोग ने इस संकट से उबरने के लिए सरकार को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:
✅ GDP का 6% हिस्सा उच्च शिक्षा पर खर्च हो
✅ स्टेट यूनिवर्सिटीज़ को अधिक स्वायत्तता दी जाए
✅ शिक्षकों की भर्ती में तेजी लाई जाए और उन्हें बेहतर सुविधाएं दी जाएं
✅ रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए फंडिंग में इजाफा किया जाए
नीति आयोग की रिपोर्ट एक कड़ा संदेश देती है कि अगर उच्च शिक्षा की दुर्दशा पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो देश में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है। क्या सरकार इन खतरनाक हालातों को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाएगी, या फिर स्टेट यूनिवर्सिटीज़ के लाखों छात्र शिक्षा के इस अंधेरे में यूं ही भटकते रहेंगे?
नई हवा की खबरें अपने मोबाइल पर नियमित और डायरेक्ट प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप नंबर 9460426838 सेव करें और ‘Hi’ और अपना नाम, स्टेट और सिटी लिखकर मैसेज करें। आप अपनी खबर या रचना भी इस नंबर पर भेज सकते हैं।
रेलवे में ‘रिश्वत की सुरंग’! करोड़ों के खेल में चीफ इंजीनियर फंसे, CBI ने दर्ज किया केस
बैंक बैलेंस देख उछले, फिर मैसेज पढ़ धड़ाम! कॉलेज प्रोफेसर्स को मिली ‘गलतफहमी वाली खुशी’
नई हवा’ की खबरें नियमित और अपने मोबाइल पर डायरेक्ट प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप नंबर 9460426838 सेव करें और ‘Hi’ और अपना नाम, स्टेट और सिटी लिखकर मैसेज करें