चश्मा हटाने की विश्व की आधुनिकतम और भारत की प्रथम स्माइल प्रो तकनीक की जयपुर में हुई शुरुआत

जयपुर 

चश्मा हटाने की विश्व की आधुनिकतम और भारत की प्रथम स्माइल प्रो तकनीक की शुरुआत राजस्थान के जयपुर में डॉ. वीरेंद्र में लेजर फेको सर्जरी सेंटर पर हुई। इसका उद्घाटन  राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, जयपुर (Vice-Chancellor, Rajasthan University of Health Sciences, Jaipur) के उप-कुलपति डॉ. सुधीर भंडारी ने किया।

आपको बता दें कि लेसर द्वारा चश्मा हटाने की तकनीक 25 साल से उपलब्ध है। लेज़र तकनीक  में लगतार अनुसन्धान के बाद सुधार हो रहा है। इसी क्रम में विश्व की आधुनिकतम तकनीक स्माइल प्रो (SMILE PRO) का विकास हुआ है। इसी स्माइल प्रो तकनीकी की आज डॉ वीरेंद्र में लेजर फेको सर्जरी सेंटर में शुरुआत की गई। दवा किया जा रहा है कि स्माइल प्रो के लिए ये मशीन, विस्मैक्स 800 (Visumax-800) भारत ही नहीं बाल्की सार्क देशों में भी पहली है।

ये है स्माइल प्रो तकनीक
स्माइल प्रो तकनीक से कॉर्निया में फ्लैप बनाने की जरुरत नहीं है। इस तकनीक में किसी भी नंबर का चश्मा कॉर्निया के अंदर ही 8 सेकेंड में लेजर करके, 2 मिलीमीटर से चश्मे के नंबर को निकला जा सकता है। इस तकनीक में उपचार के दौरान मरीज की आंख का सही जगह पर लेजर होने के लिए सेंट्रलाइन एवम ऑक्यूलिन सॉफ्टवेयर है जो परिणाम को ज्यादा सटीक रखता है। आठ सेकंड में लेसर होने से ये मरीज के लिए आराम दायक है और बिना तकलीफ के एक बार में ही लेजर को पूरा करने के लिए अच्छा है।

स्माइल प्रो तकनीक की जयपुर से शुरुआत हमारे लिए गौरव की बात: डॉ. भंडारी
इस मौके पर कार्यकर्म के मुख्य अतिथि राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, जयपुर के उप-कुलपति डॉ. सुधीर भंडारी ने अपने उदबोधन में इसे राजस्थान ही नहीं देश के सभी मरीजों के लिए काफी लाभदायक और उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि विश्व की आधुनिकतम लेज़र की शुरुआत हमारे जयपुर शहर से हो रही है। ये बहुत ही गौरव की बात है।

 डॉ.भंडारी ने कहा कि  इस तरह की तकनीक की प्रगति जयपुर को चिकित्सा जगत में एक नए मुकाम पर ले जाएगी। साथ ही उन्होंने नवीनतम क्लारस 700 (Clarus 700) नॉन मायड्रिटिक फंडस कैमरा (Non Mydriatic Fundus Camera) एवं सिरस 6000 एंजियो ओ सी टी (Cirrus 6000 Angio OCT OCTA) का भी उद्घाटन किया। ये दोनों मशीन रेटिना की विस्तार से आंख की पुतली फैलाये बिना जाँच करने में सक्षम है जिससे मधुमेह से पर्दे में होने वाले बदलाव, खराबी, बड़ी उमर के साथ होने वाली पर्दो एवं आँख की नसों की बीमारी, काला पानी, परदों में खून का दौरा रुक जाना आदि सब बीमारों के लिए वरदान साबित होंगी।

इस अवसर पर डॉ. सुधीर भंडारी ने बताया कि भारत में 15% से 20% व्यक्तियों में मधुमेह रोग पाया जाता है। इस तरह आँख के परदे की जाँच सुविधा उनके इलाज में काफी लाभदायक होगी। इस प्रकार की आधुनिक तकनीक का निजी चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्ध होना बहुत ही गर्व की बात है। भविष्य में अन्य चिकित्सक भी इनका अनुसरण करेंगे।

डॉ.वीरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि हम लगातर प्रदेश वासियों को नवीनतम, सुरक्षित नेत्र चिकित्सा को उचित दर पर उपलब्ध कराने के लिए नई तकनीक और  मशीनों को उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. वीरेन्द्र लेजर फेको सर्जरी सेंटर राज्य का सबसे विश्वसनीय नेत्र चिकिसा अस्पताल है। डॉ. वीरेंद्र अग्रवाल एवं डॉ. अनीता अग्रवाल राज्य में गत 23 वर्षों से लेजर द्वारा चश्मा हटाने एवं निरंतर उन्नत तकनीक को उपयोग कर रहे हैं।

इस अवसर पर डॉ. पी. के. माथुर, डॉ. अमित मिश्रा ने भी विचार रखे। डॉ. नेहा पाठक ने संचालन किया। इस अवसर पर शहर के कई सम्मानीय चिकित्सक एवं गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे।

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