भरतपुर
महारानी श्री जया राजकीय महाविद्यालय (MSJ College) के हिन्दी विभाग में ‘हिन्दी छात्र परिषद्’ की ओर से आयोजित कार्यक्रम में हिंदी विस्तार व्याख्यान के अंतर्गत मुख्य वक्ता सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ.उर्मिला शर्मा, डॉ.सुनीता कुलश्रेष्ठ, प्राचार्य डॉ.हरवीर सिंह, हिन्दी विभाग अध्यक्ष डॉ.इला मिश्रा एवं मंचस्थ अतिथियों ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
हिन्दी छात्र परिषद् के संयोजक डॉ.अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि मुख्य वक्ता डॉ.उर्मिला शर्मा ने ‘सूर सूर तुलसी शशि, उडुगन केशवदास।अबके कवि खद्योत सम जहं तहं करत प्रकाश।’ उक्ति से प्रारंभ करते हुए कहा कि हिन्दी साहित्य इतिहास में सूरदास महान एवं विशिष्ट कवि हुए हैं। वे सूर्य के समान हैं जिन्होंने सवा लाख पदों का गायन किया जो सूरसागर में संकलित हैं। उनका ‘साहित्य लहरी’ एक प्रमुख ग्रंथ हैं जिसमें अनेक दृष्टकूट पद हैं। महाकवि सूर कृष्ण भक्ति के अनन्य उपासक रहे हैं। उन्होंने गोपियों की भावुकता, ज्ञान योग पर प्रेम की विजय को, निर्गुण पर सगुण को पूर्णतया स्थापित किया है। वे वात्सल्य के हृदय सम्राट हैं। उन्होंने ‘मेरो मन अनंत कहां सुख पावे’ आदि पदों को अपने व्याख्यान में प्रमुखता देते हुए कृष्ण भक्ति को प्रकट किया।

इस अवसर पर डॉ.सुनीता कुलश्रेष्ठ ने तुलसीदास को श्रेष्ठ कवियों में स्थापित करते हुए कहा कि तुलसीदास ने रत्नावली के ‘लाज न आवत आपको’ संदेश की प्रेरणा से अपने आपको लौकिक प्रेम से ईश्वर के प्रति प्रेम में स्थापित कर लिया। उनका रामचरितमानस ग्रंथ श्रेष्ठ धार्मिक ग्रंथों में माना जाता है जो आज भी कालजयी है एवं सदैव रहेगा। उन्होंने बताया कि तुलसी सगुन काव्य धारा के राम भक्ति मार्ग के श्रेष्ठ कवि हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जैसे ही मनुष्य जन्म लेता है वह सांसारिक मोह माया में बंध जाता है लेकिन मनुष्य को ईश्वर की भक्ति में ही समर्पित रहना चाहिए। उन्होंने सगुन और निर्गुण के भेद को स्थापित करते हुए सगुन के महत्व को प्रतिष्ठित किया।
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ.हरबीर सिंह ने कहा कि दो वक्ताओं के ये व्याख्यान हिन्दी साहित्य के विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी होंगे। उन्होंने भी सगुन के महत्व को श्रेष्ठतम बताया। उन्होंने कहा कि ईश्वर है जो हमें सदैव सदमार्ग की ओर प्रेरित करता है। इस अवसर पर डॉ.इला मिश्रा ने सभी अतिथियों का धन्यवाद और आभार प्रदर्शन करते हुए कहा कि ये व्याख्यान हिन्दी साहित्य के विद्यार्थियों के लिए परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ.अंजना शर्मा ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा कि भक्ति काल हिन्दी साहित्य का प्रमुख काल है। इस अवसर पर डॉ. बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि यह व्याख्यान माला हम सभी के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। इस मौके पर डॉ.नरेश चन्द गोयल, संस्कृत विभाग अध्यक्ष डॉ.योगेंद्र भानु , डॉ.रामबाबू गुर्जर के अलावा कार्यक्रम में विभिन्न विद्यार्थी एवं संकाय सदस्य मौजूद रहे।
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