सोलर कंपनियां कर रहीं स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, डॉक्टर, एंबुलेंस और स्टाफ तक नहीं | सरकार के दावों की खुली पोल

जयपुर 

राजस्थान के बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर और फलौदी क्षेत्रों में कार्यरत सोलर कंपनियां स्वास्थ्य मानकों की अनदेखी कर रही हैं। राज्य सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद ये कंपनियां न तो ड्रग लाइसेंस के तहत दवाइयों का वितरण कर रही हैं और न ही फार्मासिस्ट की नियुक्ति की जा रही है। यह स्थिति स्थानीय निवासियों और कर्मचारियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन रही है।

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फर्जी मेडिकल फिटनेस और बिना रिकॉर्ड की दवाइयां, स्वास्थ्य मानकों की धज्जियां उड़ाईं
पूर्व में बाड़मेर रिफाइनरी में फर्जी मेडिकल फिटनेस के मामले सामने आ चुके हैं और अब सोलर कंपनियों में दवाइयों का वितरण बिना किसी वैध प्रक्रिया और लाइसेंस के हो रहा है। कंपनियां बायो-मेडिकल वेस्ट और दवाइयों के निस्तारण में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं कर रही हैं।

अस्पताल के नाम पर मजाक: डॉक्टर, एंबुलेंस और स्टाफ के दावों की पोल खुली
राज्य सरकार ने सोलर कंपनियों को डॉक्टर, एंबुलेंस और नर्सिंग स्टाफ की अनिवार्यता का निर्देश दिया था। लेकिन इन कंपनियों में बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं का भी अभाव है। कई कंपनियों में यह दिखाने के लिए कागजों में डॉक्टर और एंबुलेंस दर्ज हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।

स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही: रिकॉर्ड नहीं, निगरानी नहीं
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत दवाइयों और बायोमेडिकल वेस्ट का उचित रिकॉर्ड रखना अनिवार्य है। लेकिन सोलर कंपनियां इन नियमों की अवहेलना कर रही हैं। बिना रिकॉर्ड के दवाइयां दी जा रही हैं, जिससे दवाओं के गलत इस्तेमाल और पर्यावरण को नुकसान की आशंका बढ़ गई है

तत्काल कार्रवाई की मांग: जनहित में गठित हो टीम
अखिल राजस्थान चिकित्सा संघ के महासचिव डॉ. आशीष पूनिया ने सोलर कंपनियों की इस लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने मांग की है कि एसडीएम, सीएमएचओ, ड्रग इंस्पेक्टर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, आरटीओ और फूड इंस्पेक्टर की संयुक्त टीम बनाकर तत्काल कार्रवाई की जाए।

सरकार कब जागेगी?
स्वास्थ्य के साथ हो रहे इस खिलवाड़ ने न केवल सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि आमजन की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन कब तक इस गंभीर मुद्दे पर कार्रवाई करता है।

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