जयपुर
राजस्थान के वरिष्ठ पूर्व आईपीएस अधिकारी राजेन्द्र जोशी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जुनून उम्र का मोहताज नहीं होता। मुंबई में आयोजित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रतियोगिता ‘Khyaal – 50 over 50: Travel Enthusiast of the Year’ में उन्होंने लाखों प्रविष्टियों के बीच पहला स्थान हासिल किया है। शीर्ष दस फाइनलिस्ट को मुंबई बुलाया गया था, जहां अंतिम दौर में राजेन्द्र जोशी को विजेता घोषित किया गया।
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बचपन से यात्राओं का दीवानापन — 15 साल की उम्र में उड़ा दी सीमाएँ
राजेन्द्र जोशी की यात्राओं की कहानी किसी रोमांचक उपन्यास से कम नहीं।
उन्होंने बताया कि—
1969 में मात्र 15 वर्ष की उम्र, 10वीं कक्षा के छात्र होते हुए उदयपुर से दार्जिलिंग, कर्सियांग, कालिम्पोंग और गंगटोक तक बिना पैसे हिचहाइकिंग से पहुँचे।
1970 में स्कूली मित्रों के साथ गंगोत्री–गोमुख होते हुए 16,000 फीट ऊँचे तपोवन तक ट्रेकिंग की।
यही शुरुआती यात्राएँ उनके भीतर रोमांच की आग जगा गईं।
दुनिया के 100 देशों की यात्रा — संघर्ष, रोमांच और साहस का सफर
पिछले 20 वर्षों में राजेन्द्र जोशी दुनिया के लगभग 100 देशों की यात्रा कर चुके हैं।
संयुक्त राष्ट्र (UNO) में सेवाओं के दौरान वे बोस्निया, सिएरा लियोन, इराक, सूडान, चाड, ईस्ट तिमोर, स्वाजीलैंड, लेसोथो जैसे संघर्षग्रस्त इलाकों में तैनात रहे—और इन्हीं मिशनों ने उन्हें दुनिया के सबसे कठिन क्षेत्रों तक पहुँचाया।
उन्होंने—
नामीबिया और साउथ अफ्रीका की पूरी समुद्री तटरेखा नापी
ड्रेकेंसबर्ग के कई शिखर फतेह किए
खतरनाक सानी पास अकेले ड्राइव किया
जॉर्डन से बेरूत, दमिश्क होते हुए तुर्की तक लंबी कार यात्रा
ऑस्ट्रेलिया में डार्विन से सिडनी, मेलबर्न होते हुए पर्थ तक का रोड ट्रिप
कश्मीर में ग्रेट फोर लेक्स ट्रेक (7 दिन)
मैक्सिको, चीन, न्यूजीलैंड, यूरोप, कनाडा, बाल्टिक देशों—सभी को लंबी ड्राइव और ट्रेकिंग से कवर किया
चीन की महान दीवार पर सबसे ऊँचे बिंदु तक चढ़कर तांबे का प्रतिष्ठित मेडल भी हासिल किया।
भारत के दुर्गम हिस्सों को भी नहीं छोड़ा
लद्दाख, लाहौल–स्पीति, केरल, नगालैंड–मणिपुर–असम… भारत का कोई भी कठिन रास्ता उनके कदमों से अछूता नहीं रहा।
‘लोनली प्लैनेट’ स्तर की रोमांचक यात्राएँ
उन्होंने दुनिया के वे इलाके भी तलाशे, जहाँ पहुंचना आमतौर पर लोगों के लिए सपना भर होता है—
बोत्सवाना का प्रसिद्ध ओकावांगो डेल्टा
नामीबिया का स्केलेटन कोस्ट और ल्यूडरिट्ज़ का घोस्ट टाउन
बाली के पास गिली मेनो द्वीप
सिसिली का एटना ज्वालामुखी
नॉर्वे के सभी फियोर्ड्स
बेल्जियम से फिनलैंड तक 7,500 किमी का कैम्पर वैन रोड-ट्रिप
उन्होंने अपनी पत्नी के साथ IML के ‘सगामार्शल वॉक’ (नॉर्वे से स्वीडन और वापस — कुल 100 किमी) में भी भाग लिया और प्रमाणपत्र प्राप्त किए।
“दुनिया चलकर और ड्राइव करके नापी है”
राजेन्द्र जोशी कहते हैं—
“मैं ज्यादा नहीं लिखना चाहता, लेकिन सच यह है कि दुनिया को सचमुच पैदल चल कर और गाड़ी चलाकर नापा हुआ है।”
सम्मान पर खुशी जताई
पुरस्कार मिलने के बाद उन्होंने कहा—
“मैं प्रसन्न हूँ कि मेरी जीवनभर की यात्राओं और अनुभवों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया। आप सबके समर्थन और आशीर्वाद ने इस सफर को खास बनाया।”
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