डेड बॉडी के साथ सियासत तो अब जाएंगे जेल | विधानसभा में राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक पारित

जयपुर 

राजस्थान विधान सभा ने गुरूवार को मृत शरीर का सम्मान विधेयक -2023 पारित कर मृत शरीरों की गरिमा को सुनिश्चित कर दिया है। विधेयक पारित होने के बाद अब कोई भी डैड बॉडी के साथ धरना प्रदर्शन नहीं कर सकेगा। अब ऐसा किया तो वह सीधा जेल जाएगा। इससे कोई भी अब डैड बॉडी के साथ सियासत भी नहीं कर पाएगा। यदि कोई ऐसा करता है तो परिवार के सदस्यों और नेताओं को सजा का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है।

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विधेयक में डेड बॉडी के साथ विरोध प्रदर्शन करने और समय पर अंतिम संस्कार नहीं करने पर सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है। राजस्थान मृतक शरीर के सम्मान का विधेयक के प्रावधानों के अनुसार परिजनों को मृतक का समय पर अंतिम संस्कार करना होगा।

संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक  पर चर्चा का जवाब  देते हुए कहा कि मृत शवों को रखकर धरना-प्रदर्शन की प्रवृत्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वर्ष 2014 से 2018 तक इस तरह की 82 एवं वर्ष 2019 से अब तक 306 घटनाएं हुई हैं। वर्तमान में ऐसी घटनाओं पर प्रभावी रूप से रोक लगाने के लिए विधिक में प्रावधान नहीं हैं, इसीलिए यह विधेयक लाया गया है।

विधेयक में ये किए प्रावधान
परिजन द्वारा मृत व्यक्ति का शव नहीं लेने की स्थिति में विधेयक में एक वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही, परिजन द्वारा धरना-प्रदर्शन में शव का उपयोग करने पर भी 2 वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार, परिजन से भिन्न अन्य व्यक्ति द्वारा शव का विरोध के लिए इस्तेमाल करने पर 6 माह से 5 वर्ष तक की सजा एवं जुर्माने से दण्डित करने का प्रावधान किया गया है। कार्यपालक मजिस्ट्रेट को मृतक का अंतिम संस्कार 24 घंटे में कराने की शक्ति प्रदान की गई है। यह अवधि विशेष परिस्थितियों में बढ़ाई भी जा सकेगी। साथ ही, परिजन द्वारा शव का अंतिम संस्कार नहीं करने की स्थिति में लोक प्राधिकारी द्वारा अंतिम संस्कार किया जा सकेगा।

धारीवाल ने बताया कि सिविल रिट पिटीशन आश्रय अधिकार अभियान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में उच्चतम न्यायालय ने मृत शरीरों के शिष्टतापूर्वक दफन या अंतिम संस्कार के निर्देश प्रदान किए थे। इस निर्देशों की पालना में इस विधेयक में लावारिस शवों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करना और इन शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग और डिजिटाइजेशन के माध्यम से आनुवंशिक जेनेटिक डाटा सूचना का संरक्षण और सूचना की गोपनीयता रखने जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। इससे लावारिस शवों का रिकॉर्ड संधारित हो सकेगा और उनकी भविष्य में पहचान भी हो सकेगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 तक प्रदेश में 3216 लावारिस शव मिले हैं।

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