सिख समाज की आस्था के प्रतीक ‘निशान’ से खिलवाड़ करने का अधिकार नहीं: गुरचरन सिंह गिल

नई दिल्ली

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राष्ट्रीय सिख संगत ने लाल किले पर हुए उपद्रव को बताया बलिदानियों का अपमान


राष्ट्रीय सिख संगत ने 26 जनवरी के दिन देश की राजधानी नई दिल्ली में हुए उपद्रव की कड़ी निन्दा करते हुए कहा है कि जिस तरह से लाल किले पर सिख आस्था के प्रतीक ‘निशान’ का झण्डा फहराया गया वह इस धार्मिक प्रतीक का 

दुरुपयोग है और किसी को इसका अधिकार नहीं कि वह इस तरह सिख समाज के आस्था के प्रतीक से किसी तरह का खलावाड़ करे।

राष्ट्रीय सिख संगत के अखिल भारतीय अध्यक्ष गुरचरन सिंह गिल ने इसे लेकर एक ट्वीट भी किया है। उन्होंने ‘नई हवा.कॉम’ से बातचीत करते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस के मौके पर लाल किले पर हुई घटना पूरी तरह अराजक और घोर निन्दनीय है। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय त्योहार है। लालकिला हजारों – लाखों बलिदानों का प्रतीक है और यह दिवस हमारी राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता और सैन्य शक्ति प्रदर्शित करने का अवसर देता है। यह हमारा उत्सव है और उसमें इस तरह खलल डालना निंदनीय है। उन्होंने कहा कि  इस तरह उपद्रव करना देश की आजादी के लिए मर मिटने वाले लाखों सत्याग्रहियों और शहीद भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे बलिदानियों का अपमान है। 

गुरचरन सिंह गिल ने कहा कि दिल्ली में यह कोई धार्मिक कार्यक्रम नहीं था। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने इसमें सिख आस्था के प्रतीक ‘निशान’ का दुरुपयोग किया, राष्ट्रीय सिख संगत उसकी निन्दा करती है। ऐसे लोगों को सिखों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने का कोई अधिकार नहीं।






 

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