भारतीय संस्कृति उत्सव-7: प्रकृति से संस्कृति की ओर, कर्नाटक में 11 दिवसीय महोत्सव का 28 जनवरी से होगा आगाज़ | 30 लाख लोग होंगे शामिल

कलबुरगी (कर्नाटक)

भारतीय संस्कृति, परंपरा, और आधुनिकता का संगम प्रस्तुत करने वाला ‘भारतीय संस्कृति उत्सव-7’ (Bharatiya Sanskriti Utsav-7) 28 जनवरी से 7 फरवरी 2025 तक कर्नाटक (Karnataka) के जिला कलबुरगी (Kalaburagi) में आयोजित किया जाएगा। 240 एकड़ में फैले इस महोत्सव में प्रकृति और संस्कृति के जुड़ाव को मुख्य थीम बनाया गया है। इस आयोजन में 9 विषय प्रदर्शनियां, 90 विचार नायक, 900 विक्रय केंद्र, 9000 स्वयंसेवक और 30 लाख से अधिक आगंतुक भाग लेंगे।

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इसका आयोजन श्री कोत्तल बसवेश्वर भारतीय शिक्षण समिति (Shri Kottal Basaveshwar Bharatiya Shikshan Samiti), भारत विकास संगम (Bharat Vikas Sangam) और विकास अकादमी (Vikas Academy) द्वारा किया जा रहा है। आयोजन का उद्देश्य भारत की प्राचीन संस्कृति को वर्तमान संदर्भ में पुनर्जीवित करना और समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ना है।

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11 दिवसीय उत्सव का प्रमुख आकर्षण
भारत विकास संगम एवं विकास अकादमी के राजस्थान प्रदेश के संगठन मंत्री डॉ. महेन्द्र भारती ने बताया कि उत्सव के दौरान हर दिन एक अलग थीम पर आधारित सम्मेलन आयोजित होगा। इसमें समाज के विभिन्न वर्गों और आयामों को ध्यान में रखते हुए विषयों का चयन किया गया है।
प्रमुख कार्यक्रम:

  • 28 जनवरी: शोभा यात्रा एवं उद्घाटन समारोह
  • 29 जनवरी: मातृ सम्मेलन
  • 30 जनवरी: शैक्षणिक सम्मेलन
  • 31 जनवरी: युवा सम्मेलन
  • 1 फरवरी: ग्राम एवं कृषि सम्मेलन
  • 2 फरवरी: आहार एवं आरोग्य सम्मेलन
  • 3 फरवरी: स्वयं उद्योग सम्मेलन
  • 4 फरवरी: पर्यावरण सम्मेलन
  • 5 फरवरी: सेवा शक्ति सम्मेलन
  • 6 फरवरी: देश-धर्म-संस्कृति सम्मेलन
  • 7 फरवरी: सहस्रचंद्र दर्शन – के.एन. गोविन्दाचार्य (प्रमुख विचारक और चिंतक, भारत)

उत्सव के प्रमुख पहलू

  • 240 एकड़ में फैली 9 विषय प्रदर्शनियां, जो भारत की संस्कृति, परंपरा, और पर्यावरणीय संतुलन को दर्शाएंगी।
  • 90 विचार नायक विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
  • 900 विक्रय केंद्र, जो हस्तशिल्प, ग्रामीण उत्पादों, और स्थानीय संस्कृति को प्रोत्साहन देंगे।
  • 9000 स्वयंसेवक इस आयोजन को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभाएंगे।
  • 30 लाख से अधिक आगंतुकों के शामिल होने की संभावना है, जो इसे एक मेगा इवेंट बनाता है।

अंतिम दिन का मुख्य आकर्षण
7 फरवरी को महोत्सव का समापन ‘सहस्रचंद्र दर्शन’ के साथ होगा। इस विशेष कार्यक्रम में भारत के प्रमुख विचारक और चिंतक के.एन. गोविन्दाचार्य अपने विचार साझा करेंगे।

विशेष आमंत्रण
भारतीय संस्कृति उत्सव-7 एक ऐसा मंच है, जहां प्रकृति से संस्कृति तक की यात्रा का अनुभव होगा। यह महोत्सव न केवल भारतीय मूल्यों और परंपराओं को उजागर करेगा, बल्कि आधुनिक समाज में उनके महत्व को रेखांकित भी करेगा।

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