7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, सरकार ने बदले नॉमिनी से जुड़े नियम

नई दिल्ली 

केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। केंद्र सरकार ने ड्यूटी के दौरान कर्मचारी की मृत्यु से जुड़े एक नियम में बड़ा बदलाव किया है। ये बदलाव मृतक कर्मचारी के परिजनों के लिए काफी अहम है। नए नियम के मुताबिक ड्यूटी पर मृत्यु के बाद कर्मचारी को मिलने वाले मुआवजे (Ex-Gratia lump sum compensation) का भुगतान परिवार के उस सदस्य को किया जाएगा, जिन्हें नॉमिनी बनाया गया है। मतलब ये है कि जो नॉमिनी है, वही मुआवजे का हकदार होगा। अब तक इस मामले में नॉमिनी बनाने की बाध्यता नहीं थी।

नॉमिनी नहीं बनाया तो क्या होगा
अगर केंद्रीय कर्मचारी ने किसी को नॉमिनी नहीं बनाया गया है तो मुआवजे की रकम परिवार के सभी सदस्यों के बीच बराबर में बांट दी जाएगी। यानी इस मुआवजे की रकम का कोई एक सदस्य हकदार नहीं होता है। आपको बता दें कि सरकारी कर्मचारी पेंशन, पीएफ या ग्रेच्युटी में नॉमिनी बनाते हैं। हालांकि, ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर जो मुआवजा मिलता है, उसके लिए नॉमिनी नहीं बनाते हैं। अब सरकार ने सर्कुलर जारी कर इस संबंध में दिशा निर्देश दिए हैं।

अब मुआवजे के संबंध में भी कर्मचारी नॉमिनी बना सकते हैं। इसके जरिए ये तय हो जाएगा कि अगर कर्मचारी की मृत्यु ड्यूटी पर होती है तो उसके बाद मुआवजे की रकम परिवार के किस सदस्य को दी जाएगी।

सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि इस मामले में सिर्फ परिवार के सदस्य को ही नॉमिनी बनाया जाएगा। मुआवजे की रकम के लिए किसी बाहरी को नॉमिनी नहीं बनाया जा सकता है। इसके साथ ही सरकार ने मुआवजे के भुगतान के संबंध में नामांकन को शामिल करने के लिए सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 के साथ संलग्न फॉर्म के फॉर्मेट में भी संशोधन किया है। 

अभी तक ये थे निर्देश
सरकार की ओर से जारी एक ऑफिस मेमारेंडम में कहा गया है कि केन्द्रीय कर्मचारी की मृत्यु पर मिलने वाले मुआवजे की रकम वक्त-वक्त पर संशोधित होती रहती है। अभी तक जो निर्देश था, उसमें यह स्पष्ट नहीं था कि कर्मचारी के मरने के बाद इस मुआवजे का भुगतान परिवार के किस सदस्य को किया जाएगा। इसलिए अभी तक सीसीएस (एक्स्ट्राऑर्डिनरी पेंशन) रूल्स 1939 के तहत परिवार के जो सदस्य एक्स्ट्राऑर्डिनरी फैमिली पेंशन के लिए पात्र हैं, उनको मुआवजे का भुगतान कर दिया जाता था। इस मामले को वित्त मंत्रालय (व्यय विभाग) के साथ विचार—विमर्श कर जांचा गया।

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