ज्ञान की अनुपम निधि का भंडार होगा यह पुस्तकालय

नई दिल्ली

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अब दिल्ली में निजी प्रयासों से जल्दी एक ऐसा पुस्तकालय शुरू हो रहा है जो शोधकर्ताओं और ज्ञान पिपासुओं की सदा प्यास बुझाता रहेगा। यह पुस्तकालय स्वामी जगदीशवरानंद वैदिक पुस्तकालय के नाम से जाना जाएगा। ज्ञान पिपासु लोग यहां उपलब्ध पुस्तकों का अध्ययन कर शोधकार्य पूरा कर सकेंगे। दिल्ली निवासी डा. विवेक आर्य ने यह पहल शुरू की है।

दरअसल यह पुस्तकालय पुस्तकाल्य राजस्थान के  हिंडौन में चल रहा था। वही अब दिल्ली शिफ्ट हुआ है और इसके सार संभाल की जिम्मेदारी ली है दिल्ली निवासी डा.विवेक आर्य ने। हिण्डौन में यह पुस्तकालय   19 अलमारी में चल रहा था। वहां से प्रभाकर जी से ये आलमारियां और 130 कार्टन में भरी किताबें डा.विवेक आर्य को दान में मिलीं। 

डा.विवेक आर्य के अनुसार पूर्व में उनके पास 13 अलमारी पुस्तकें उनकी निजी थी। अब कुल 32 अलमारी पुस्तकें उनके पास हो गई हैं। 18 अलमारी और रखने का स्थान अभी उनके पास उपलब्ध है।

डा.विवेक आर्य के अनुसार अब यह पुस्तकालय ‘स्वामी जगदीशवरानंद वैदिक पुस्तकालय’ के नाम से जाना जाएगा। हजारों पुस्तकों का यह संग्रह शोध कार्य, प्रकाशन, ई पुस्तकालय , अनुवाद आदि में प्रयोग होगा। यह आर्य समाज की संपत्ति ही रहेगा। उन्होंने बताया कि उनका कार्य केवल इस पुस्तकालय की देखभाल कर्ता के रूप में रहेगा। उन्होंने बताया कि व्यवस्था ठीक हो जाने पर कोई भी इसे देखने आ सकता है। उन्होंने कहा कि उन पर यह ईश्वर की ही अनुपम कृपा हुई है। वह इस कार्य के केवल निमित्त मात्र बने हैं।





 

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