है गुज़ारिश बंद करो अब नारी की नर से तुलना करना ईश्वर प्रदत्त दो जीवों का भेद मिटाना
कुछ करना ही है तो एक-दूजे का सम्मान करो द्वन्द आपस के बंद करो एक-दूजे के पूरक हैं दोनों एक-दूजे बिन अधूरे दोनों
जो जैसा है उसको वैसा ही स्वीकार करो सहधर्म द्वारा पूर्णता को प्राप्त करो शिव का अर्धनारीश्वर रूप भी यही दर्शाता हर नारी में नर का हर नर में नारी का भाव सदैव निहित रहता
ये परस्पर विरोधी ध्रुव एक धरातल पर जब भी आते हो समाहित एक दूजे में जीवन उत्कर्ष कर पाते प्रेम प्रवाह की अविरल धारा वे बन जाते है गुज़ारिश बंद करो अब नारी की नर से तुलना करना।
(लेखिका राजकीय महाविद्यालय, नाथद्वारा, राजसमन्द में प्राणीशास्त्र की सह आचार्य हैं)