प्रेरणा

डॉ. विनीता राठौड़
मौसम की तरह बदलना मेरी फितरत नहीं
डर-डर कर जीना मेरी आदत नहीं
कोमल हूँ मैं पर कमजोर नहीं
और किसी से कमतर नहीं
अवसाद के दलदल में मैं धंसती नहीं
आजाद परिन्दों की मानिद
भरती हूँ परवाज़ नित नई
हर मौसम हर बयार से अप्रभावित
परिणाम पाती हूँ सदैव अपेक्षित
जीवन पथपर आते हैं मोड़ अनेक
साथ में लाते हैं रोड़े अनेक
यही रोड़े जीवन जीने की कला में
निपुण मुझे बनाते हैं
देकर प्रेरणा अथक परिश्रम की
जीवन की राहें सुगम बनाते हैं
आभार प्रकट करती हूँ
हर मोड़ और रोड़े का नित नित
बाधाओं से अविचलित
आगे बढ़ने को करते ये प्रेरित
भरकर ताकत मेरे प्रयासों के पंखों में
वेगपूर्ण उड़ान भरना मुझे सिखाते हैं
हारी हुई हर बाज़ी को पलट के
जीतना मुझे सिखाते हैं।
(लेखिका राजकीय महाविद्यालय, नाथद्वारा, राजसमन्द में प्राणीशास्त्र की सह आचार्य हैं)
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