नर-नारी
दिशा पंवार
न नर पर नारी,न नारी पर नर भारी।जीवन है रंगमंच,दोनों की है भागीदारी।फिर कैसे कहते हो,नर ऊंचा या नारी।
तिनका तिनका चुन लाए,तभी नीड की हुई तैयारी।घर की गाड़ी तभी चले,जब दोनों की हो हिस्सेदारी।फिर कैसे कहते हो, नर ऊंचा या नारी।
चुग लाए जब दाना दाना,तभी भोज की हुई तैयारी।साधु भूखा जाए कभी न,दोनों की है जिम्मेदारी।फिर कैसे कहते हो…….।
त्याग किया दोनों ने मिलकर,तब महकी यह जीवन क्यारी।नव सृजन किया दोनों ने मिलकर,तब कहलाए जग प्रतिहारी।फिर कैसे कहते हो, नर ऊंचा या नारी।
(लेखिका राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सीही सैक्टर 7 फरीदाबाद, हरियाणा में संस्कृत की प्रवक्ता हैं)
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