आश्रित की परिभाषा में विधवा पुत्री ही नहीं विधवा पुत्रवधू भी शामिल: हाईकोर्ट | अनुकंपा नियुक्ति के मामले में अहम फैसला, जानिए पूरा मामला

जयपुर 

राजस्थान हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले में साफ़ किया है कि आश्रित की परिभाषा में न सिर्फ विधवा पुत्री आती है, बल्कि विधवा पुत्रवधू भी इसमें शामिल है। लिहाजा विधवा पुत्रवधू भी अनुकंपा नियुक्ति की हकदार है। जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस प्रवीर भटनागर की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से दायर अपील को खारिज कर दिया। और एकलपीठ के उस आदेश को सही ठहराया है, जिसके तहत विधवा पुत्रवधू को भी अनुकंपा नियुक्ति के तहत हकदार माना था।

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राज्य सरकार ने इस नियम की आड़ में किया विरोध
अपील में राज्य सरकार ने एकलपीठ के आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि वर्ष 1996 के नियम की धारा 2सी के तहत सिर्फ विधवा पुत्री को आश्रित की श्रेणी में माना गया है, न कि विधवा पुत्रवधू को इसलिए नियम में प्रावधान होने के चलते कोर्ट इसमें अपने स्तर पर कुछ संशोधन नहीं कर सकता है राज्य सरकार ने कहा कि नियम सही हो या गलत, इनमें विधवा पुत्रवधु को अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान नहीं है ऐसे में जब तक नियम इसकी अनुमति नहीं देते, तब तक अदालत विधवा पुत्रवधु को अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए राज्य सरकार को निर्देश नहीं दे सकती इसलिए एकलपीठ के आदेश को रद्द किया जाए

इसका विरोध करते हुए प्रभावित पक्ष के अधिवक्ता सुनील समदडिया ने कहा कि कोर्ट अपनी व्याख्या में तय कर चुका है कि आश्रित की परिभाषा में विधवा पुत्रवधू भी शामिल है इसके अलावा इस मामले में कर्मचारी की मृत्यु होने के बाद उसके बेटे ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, लेकिन आवेदन के लंबित रहने के दौरान पुत्र की भी मौत हो गई ऐसे में उसकी विधवा यानि कर्मचारी की पुत्रवधू अनुकंपा नियुक्ति की हकदार है दोनों पक्षों की बहस सुनकर अदालत ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया

यह था मामला
मामले के अनुसार सुशीला देवी की सास PWD में कुली के पद पर कार्यरत थी वर्ष 2007 में उसकी मौत हो गई इस पर सुशीला देवी के पति ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया वहीं आवेदन के लंबित रहने के दौरान उसकी भी मौत हो गई इस पर सुशीला देवी ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, लेकिन विभाग ने पुत्रवधू को आश्रित की श्रेणी में मानने से इनकार कर दिया इस पर सुशीला देवी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुशीला देवी को हकदार मानते हुए उसे एक माह में अनुकंपा नियुक्ति देने को कहा राज्य सरकार की ओर से इस आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपील पेश कर चुनौती दी गई थी

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