‘चाहता हूं देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं’

भरतपुर

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‘मेरा विद्यालय मेरा तीर्थ’ की भावना से एक प्रधानाचार्य कर रहे विद्यालयों की कायापलट

भवन बदहाल था। चारों ओर से झाड़ियों से अटा था। चार दीवारी भी नहीं दिखती थी। सर्पों का बसेरा था। पीने का पानी नहीं था। बाहर एक चबूतरे पर दो ड्रम थे। उसी से पानी पीते थे और नीचे पानी गिरता था। कीचड़ हो जाती थी। ऑफिस सीलनभरा और एक छोटे कमरे में चलता था। उसमें  धूल से अटी और बेतरतीब पड़ी महापुरुषों की तस्वीरें इसकी दुर्दशा की  कहानी बयां करने को पर्याप्त हैं।

यह कहानी है राजस्थान में भरतपुर जिले की तहसील नदबई के ग्राम पंचायत मुख्यालय बछामदी के राजकीय सीनियर सैकण्डरी स्कूल की। दरअसल यह इस विद्यालय की डेढ़ साल पहले की कहानी है। पर अब बदल चुकी है। या यूं कहिए यह कहानी इसके ठीक उलट हो चुकी है। इसकी आवोहवा बदल चुकी है। विद्यालय शैक्षणिक माहौल की नई इबारत लिख रहा है। और यह सब बदलाव हो रहा है इस विद्यालय के प्रधानाचार्य सुनील चतुर्वेदी के प्रयासों से। वे ‘मेरा विद्यालय मेरा तीर्थ’ की भावना से विद्यालय की कायापलट करने में लगे हैं। और उनकी इन कोशिशों में भरपूर साथ मिल रहा है बछामदी के ग्रामीणों और विद्यालय के स्टॉफ का। सुनील चतुर्वेदी अपने निजी सम्पर्कों से गांव से बाहर के भामाशाहों को भी इस मुहिम से जोड़ रहे हैं। वे ‘चाहता हूं देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं’ की भावना लेकर अपने संकल्पों को पूरा करने में लगे हैं।

आते ही कायापलट करने में लगे और सारथी जुटते गए
सुनील चतुर्वेदी ने करीब डेढ़ साल पहले 29 अगस्त, 2019 को ही इस विद्यालय में प्रधानाचार्य का पद संभाला था। तब इसकी दुर्दशा देखकर चौंक गए थे। बस उसी समय अपने इस विद्यालय को अपना तीर्थ समझकर इसकी दशा सुधारने में जुट गए। पहले विद्यालय की समस्याओं को समझा और फिर अपने स्टॉफ से चर्चा की। फिर अपनी भावनाओं और संकल्प को बछामदी के ग्रामीणों से साझा किया। बस इसके बाद तो ‘मेरा विद्यालय मेरा तीर्थ’ के इस अभियान सभी जुटते चले गए।

हरिचरण मुद्गल, कैप्टेन हरेन्द्र सिंह, पुष्पेन्द्र सिंह 

पूर्व सरपंच पूनम प्रभाव सिंह चौधरी ने चर्चा करने के पन्द्रह दिन के भीतर सितम्बर-2019 में  एक लाख रुपए ख़र्च कर विद्यालय में पानी की टंकी रखवा दी। इससे बच्चों की पानी की समस्या का समाधान हो गया। विद्यालय की एक बड़ी समस्या थी इसकी चार दीवारी की। चार दीवारी इतनी नीची थी कि समाजकंटक ने तोड़फोड़ कर काफ़ी नुकसान कर दिया था। लोग विद्यालय में गंदगी कर जाते थे। पेड़ – पौधों को भी नुकसान पहुंचता था। यह समस्या बछामदी की वर्तमान सरपंच सरोज पुष्पेन्द्र सिंह के सामने रखी। वह तुरंत चार दीवारी को ऊंचा कराने को तैयार हो गईं। ग्राम पंचायत से पांच लाख की मदद दिलवाई और अब इस चार दीवारी को ऊंचा करवा दिया गया है।

बृजबिहारी शर्मा, प्रभाव सिंह 

भामाशाह कैप्टेन महेन्द्र सिंह बछामदी  ने अपनी तरफ से विद्यालय में एक बरामदा, सरस्वती मां का मंदिर और भारत माता का मंदिर बनवाया। इन कार्यों पर 2 लाख 75 हजार की लागत आई। सात  बरामदे ग्रामीणों के सामूहिक योगदान से बनवा दिए गए। इस पर 4 लाख 85 हजार की लागत आई। इसमें कैप्टेन हरेन्द्र सिंह, पं.भोलाराम शर्मा, पं. राधेलाल, हरीचरण मुद्गल, पं. बृजबिहारी शर्मा और पूर्व सरपंच प्रभाव सिंह ने सहयोग किया। 

 प्रो.एम.चिम्बरम, प्रकाश शर्मा 

निजी सम्पर्कों का भी उठाया फायदा
विद्यालय के प्रधानाचार्य सुनील चतुर्वेदी ने अपने निजी सम्पर्कों का फायदा उठाकर विद्यालय का विकास कराया। चेन्नई के आईआईटीएन प्रो.एम.चिदम्बरम ने विद्यालय को 50 स्टूल, मेज उपलब्ध कराने के साथ ही ऑफिस रिनोवेशन कराया। पर्दे लगवाए। इन सब कार्यों पर करीब 75 हजार की लागत आई। भरतपुर निवासी डा. प्रदीप डागुर ने 11 हजार रुपए खर्च कर विद्यालय में छायादार और फलदार पौधे लगवाए।

कोरोना काल को अवसर में बदला
स्टॉफ भी इस विद्यालय को सजाने – संवारने में पीछे कहां रहने वाला था। उसने भी कोरोना काल को अवसर में बदल दिया और विद्यालय में श्रमदान कर बड़ी तादाद में पौधे ही नहीं लगाए बल्कि विद्यालय में बड़ा उद्यान विकसित कर दिया। स्टॉफ ने आपस में तीस हजार रुपए जुटा कर मोटरसाइकल स्टैण्ड बनवा दिया।

बदला पढ़ाई का माहौल
प्रधानाचार्य सुनील चतुर्वेदी के डेढ़ साल के अब तक के कार्यकाल में विद्यालय में पढ़ाई का माहौल भी बदल गया है। इसी का नतीजा है कि सत्र 2019-20 में इस विद्यालय की कक्षा दसवीं का परिणाम उत्कृष्ट रहा। इस सत्र में विद्यालय ने सरकारी स्कूलों में नदबई तहसील में पहला और भरतपुर जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया।

मास्टर आदित्येन्द्र विद्यालय की बदली तस्वीर
सुनील चतुर्वेदी इससे पहले भरतपुर जिला मुख्यालय स्थित राजकीय मास्टर आदित्येन्द्र (मल्टी पर्पज) स्कूल के भी प्रधानाचार्य रहे। जिस समय उन्होंने इस विद्यालय का काम संभाला था तब उसकी छवि कोई बहुत अच्छी नहीं थी। सुनील चतुर्वेदी के नेतृत्व में मल्टी पर्पज स्कूल में जो काम हुआ उसे लोग आज भी याद करते हैं। विद्यालय की तस्वीर बदल चुकी है। पढ़ाई का वातावरण अच्छा हो चुका है। भवन की आभा निखर आई है।

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