गबन करने वाले रेलवे यूनियन के पदाधिकारी नहीं निकाल सकेंगे पैसा, हाईकोर्ट ने लगाई रोक

जबलपुर 

 मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ के पदाधिकारियों की बीच चल रहे विवाद की सुनवाई करते हुए एक अहम आदेश दिया और गबन के आरोपी रेलवे यूनियन पदाधिकारियों के यूनियन के खाते से पैसे निकलने पर रोक लगा दी साथ ही प्रकरण को इंडस्ट्रीयल कोर्ट में भेजने का आदेश दिया।

कोर्ट ने कहा कि यूनियन के जनरल सेक्रेटरी अशोक शर्मा व अन्य के खिलाफ गंभीर आर्थिक अनियमितता का आरोप है और एफआइआर भी दर्ज है। ऐसे में ये पदाधिकारी बिना कोर्ट की अनुमति के पैसे नहीं निकल सकते जबलपुर हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद मामले की सुनवाई अब इंडस्ट्रियल कोर्ट में होगी।

जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने इस संबंध में रजिस्ट्रार फर्म एवं सोसायटी को ये निर्देश दिए हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा चूंकि अशोक शर्मा व साथियों के खिलाफ गंभीर आर्थिक अनियमितता का आरोप है जिस पर एफआईआर भी दर्ज है, इसलिए यूनियन का पैसा बचाने की दृष्टि से इन पदाधिकारियों को इंडस्ट्रियल कोर्ट की अनुमति के बिना पैसा निकालने पर रोक लगाई जाती है। अब अनुमति के बाद ही पैसा निकाला जाए। उल्लेखनीय है कि पूर्व में हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश के जरिए पदाधिकारियों को पैसा निकालने की अनुमति भी दी थी।

यह है मामला
वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ की उपाध्यक्ष सविता त्रिपाठी व सहायक महासचिव एसके सिन्हा ने याचिका दायर कर बताया कि जनरल सेक्रेटरी अशोक शर्मा पर यूनियन के पैसे के गबन का आरोप था। 2 अक्टूबर 2021 को वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई गई, जिसमें शर्मा नहीं पहुंचे थे। याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट नमन नागरथ ने बताया कि अशोक शर्मा ने एक फर्जी पत्र के माध्यम से 7 अक्टूबर की मीटिंग की कार्रवाई दिखाकर संघ के अध्यक्ष आरपी भटनागर को हटाने की जानकारी रजिस्ट्रार को भेज दी थी।

रजिस्ट्रार ने भी अशोक शर्मा की अध्यक्षता वाली पदाधिकारियों की नई सूची को स्वीकार कर लिया। मामले पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि यदि पदाधिकारियों में विवाद की स्थिति होती है तो रजिस्ट्रार को एक पक्ष की सूची को स्वीकार करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि संघ का वैधानिक पदाधिकारी कौन है, इसका निर्णय इंडस्ट्रियल कोर्ट करेगी।

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