नई दिल्ली
नेशनल बैंकों के बाद अब केंद्र सरकार ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) के विलय का चौथा चरण शुरू कर दिया है। वह यह कदम बैंकों की सर्विस को बेहतर बनाने और लागत को कम करने के लिए उठाने जा रही है। इसके तहत सरकार 43 ग्रामीण बैंकों को संख्या घटाकर 28 पर लाएगी। सरकार की कोशिश है कि हर राज्य में केवल एक ही रीजनल बैंक हो। 31 मार्च, 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक इन बैंकों के पास कुल 6.6 लाख करोड़ रुपये जमा थे। फिलहाल सरकार कॉस्ट कम करने के लिए रीजनल रूरल बैंक (RRB) का चौथा विलय शुरू कर चुकी है। प्रस्तावित मर्जर के बाद एक राज्य में एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक रह जाएगा। ऐसा होने पर जो बैंक एक होंगे उनके कस्टमर दूसरे बैंकों में शिफ्ट हो जाएंगे। इसके तहत विभिन्न राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय किया जाएगा। इस योजना में एक राज्य-एक RRB का सिद्धांत अपनाया गया है।
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देश में अभी 43 ग्रामीण बैंक हैं। सरकार उनकी संख्या 28 करना चाहती है। इसके लिए कुछ बैंकों का दूसरे बैंकों में मर्जर करने का प्लान तैयार किया है। इससे इन बैंकों को लागत कम करने और कैपिटल बेस बढ़ाने में मदद मिलेगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने जो दस्तावेज तैयार किया है उसमें ग्रामीण बैंकों के मर्जर का प्रस्ताव है। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक छोटे किसानों, कृषि मजदूरों और छोटे कारोबारियों को क्रेडिट देते हैं लेकिन उनकी पूंजी और टेक्नोलॉजी तक पर्याप्त पहुंच नहीं है। 31 मार्च, 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक इन बैंकों के पास कुल 6.6 लाख करोड़ रुपये जमा थे जबकि उनका एडवांस 4.7 लाख करोड़ रुपये का था। एसेट्स के हिसाब से देश में अब भी आधे से अधिक बैंकिंग सेक्टर पर सरकारी बैंकों को कब्जा है। सरकार ने बैंकों के कामकाज में सुधार करने और कैपिटल के लिए सरकार पर उनकी निर्भरता कम करने के लिए उन्हें कंसोलिडेट करने की कोशिश की है।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में केंद्र सरकार की 50 फीसदी, स्पॉन्सर या शेड्यूल्ड बैंकों की 35 फीसदी और राज्य सरकार की 15 फीसदी हिस्सेदारी है। सरकार ने 2004-05 में बैंकों को कंसोलिडेट करने की प्रोसेस शुरू की थी। 2020-21 तक इनकी संख्या 196 से घटाकर 43 की गई थी। केंद्र सरकार ने 2004-05 में आरआरबी के स्ट्रक्चरल कंसोलिडेशन की पहल की थी, जिसके परिणामस्वरूप तीन चरणों के विलय के माध्यम से 2020-21 तक ऐसे संस्थानों की संख्या 196 से घटकर 43 रह गई। इन बैंकों की स्थापना आरआरबी अधिनियम 1976 के तहत की गई थी।
किन राज्यों में होगा विलय
केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के अनुसार देश में 15 RRB का विलय किया जाएगा। जिन राज्यों में यह विलय होगा उनमें आंध्रप्रदेश में 4, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में 3-3 और राजस्थान, बिहार, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा में 2-2 RRB का विलय करने का प्रस्ताव है।
नाबार्ड के परामर्श से हो रहा काम
बयान में कहा गया है कि आगे के समेकन के लिए नाबार्ड के परामर्श से एक खाका तैयार किया गया है, जिससे आरआरबी की संख्या 43 से घटकर 28 हो जाएगी। वित्तीय सेवा विभाग ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के प्रायोजक बैंकों के प्रमुखों से 20 नवंबर तक टिप्पणियां मांगी हैं। तीन चरणों के विलय के माध्यम से 2020-21 तक ऐसे संस्थानों की संख्या 196 से घटकर 43 रह गई।
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