केंद्र सरकार ने इस बैंक को बेचने की दी मंजूरी, निजीकरण तय

नई दिल्ली  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इकोनॉमिक अफेयर्स को लेकर कैबिनेट कमेटी ने 5 मई को अपनी बैठक में IDBI बैंक में रणनीतिक विनिवेश और मैनेजमेंट ट्रांसफर को मंजूरी दे दी है। इसके बाद अब केंद्र सरकार द्वारा इस बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने का रास्ता साफ हो गया है। यानी कि अब IDBI बैंक का निजीकरण करीब तय हो चुका है। ये मंजूरी ऐसे समय में मिली है जब करीब 5 साल बाद बैंक को मुनाफा हुआ है। उल्लेखनीय है कि बैंकों के एनपीए को कम कर कर्ज के बोझ से उबारने को लेकर केंद्र सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें बैंकों को मर्ज करना और निजीकरण शामिल है। अब इन्ही में से एक IDBI बैंक को लेकर मोदी सरकार ने यह एक बड़ा फैसला किया है। इस साल 1 फरवरी को केंद्रीय बजट की घोषणा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022 तक IDBI बैंक के निजीकरण के प्रस्ताव की घोषणा की थी।

आईडीबीआई बैंक में है भारत सरकार की 45.48% हिस्सेदारी
आपको बता दें कि सार्वजनिक क्षेत्र के आईडीबीआई बैंक में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचने वाली है। भारत सरकार और एलआईसी के पास आईडीबीआई बैंक की 94 फीसदी से भी अधिक हिस्सेदारी (भारत सरकार 45.48%, एलआईसी 49.24%) है। एलआईसी ही वर्तमान में प्रबंधन नियंत्रण के साथ आईडीबीआई बैंक की प्रमोटर है और भारत सरकार इसकी सह-प्रमोटर है। हालांकि, सरकार द्वारा आईडीबीआई बैंक में कितनी हिस्सेदारी बेची जाएगी, इसका फैसला एलआईसी, भारतीय रिजर्व बैंक के साथ विचार विमर्श के बाद ही लिया जाएगा।

IDBI में हिस्सेदारी घटाएगा LIC
इस बीच LIC बोर्ड ने बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाने और मैनेजमेंट के काम से मुक्ति की मंजूरी दी है। इसका मतलब ये हुआ कि LIC आईडीबीआई में अपनी हिस्सेदारी घटा सकता है। एलआईसी बैंक के मैनेजमेंट के कामकाज से छुटकारा चाहता है। माना जा रहा है कि बैंक के हर जरूरी चीजों में बदलाव किया जाएगा, जिससे कि बैंक अब एलआईसी की मदद के बिना अपने बिजनेस का विस्तार कर सके। इसके साथ ही एलआईसी को इस दौरान मूल्य, बाजार आउटलुक, वैधानिक शर्तों और पॉलिसी धारकों के हितों को भी ध्‍यान में रखना होगा। करीब दो महीने पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने करीब चार साल के बाद IDBI बैंक को प्रॉम्प करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क (PCA Framework) से निकाला था। बीते मार्च में तिमाही के लिए बैंक का रिजल्ट आया जिसमें इसके प्रॉफिट में करीब तीन गुना उछाल आया है।

उम्मीद की जा रही है कि खरीदार आईडीबीआई बैंक की कारोबारी क्षमता को बढ़ाने और इसकी ग्रोथ के लिए बैंक में पैसा लगाएंगे। इसके लिए नई टेक्नोलॉजी और सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन प्रणालियों की मदद लेंगे। सरकारी हिस्सेदारी के रणनीतिक विनिवेश के जरिए आने वाली रकम का इस्तेमाल डेवलपमेंटल प्रोग्राम्स को फाइनेंस करने के लिए किया जाएगा।

IDBI का 512 करोड़ रहा शुद्ध मुनाफा
मार्च तिमाही में IDBI का शुद्ध मुनाफा 512 करोड़ रहा। जबकि प्रतिवर्ष के आधार पर 278 फीसदी का उछाल आया है। मार्च 2020 में बैंक का नेट प्रॉफिट 135 करोड़ रुपए रहा था। दिसंबर तिमाही में बैंक का नेट प्रॉफिट 378 करोड़ रुपए रहा था। वित्त वर्ष 2020-21 में बैंक का नेट प्रॉफिट 13459 करोड़ रहा जबकि वित्त वर्ष 2019-20 में बैंक को घाटा हुआ था। 2019-20 में कुल 12887 करोड़ का घाटा हुआ था। बता दें कि RBI ने बैंक पर मई 2017 में PCA लागू किया था।




 

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