मथुरा
क्या आपका इस बार गोवर्धन जाने का प्लान है? तो इस बार भी आपको यहां जाने का प्लान छोड़ना पड़ेगा। आपको घर पर ही इस बार मुड़िया पूर्णिमा पर अपनी आस्था की डुबकी लगानी होगी। करोड़ों लोगों की श्रद्धा के इस केंद्र पर लगातार दूसरे साल भी गुरु पूर्णिमा पर्व पर होने वाला गोवर्धन का प्रसिद्ध मुड़िया पूर्णिमा मेला नहीं भरेगा। कोरोना के कहर के चलते जिला प्रशासन ने इस बार भी मुड़िया पूर्णिमा मेला को निरस्त कर दिया है। मथुरा जिलाधिकारी ने इसे निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं। गोवर्धन में गुरुपूर्णिमा को देखते हुए 15 से 30 जुलाई तक लॉक डाउन घोषित कर दिया गया है।
गोवर्धन की सीमा हो जाएगी सील
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के इस मेले में हर साल 5 दिन में करीब एक करोड़ लोग गोवर्धन की परिक्रमा लगाने के लिए आते हैं। गुरु पूर्णिमा मेला निरस्त करने के आदेश देने के बाद भी गोवर्धन में किसी तरह श्रद्धालुओं का जमघट नहीं लगे, इसलिए अब 19 जुलाई से गोवर्धन कस्बे की तरफ जाने वाली सभी सीमा सील कर दी जाएंगी। इस दौरान सुरक्षा कर्मी बैरियर पर तैनात रहेंगे और वह श्रद्धालुओं को गोवर्धन में प्रवेश करने से रोकेंगे।
पांच दिन के लिए लगता है मेला
गुरु पूर्णिमा मेला हर साल आषाढ़ महीने की एकादशी से पूर्णिमा तक 5 दिन के लिए लगता है। इस गुरु पूर्णिमा मेले को राजकीय मेले का दर्जा है। गुरु पूर्णिमा के पर्व पर यहां 5 दिन में करीब एक करोड़ श्रद्धालु आते हैं और गोवर्धन की परिक्रमा करते हैं। इस बार यह मेला 20 जुलाई से 24 जुलाई तक लगना था। ऐसे में स्थानीय लोग केवल परंपरा निर्वाह की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं। लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे निरस्त कर दिया गया। 2020 का मुड़िया मेला भी कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गया था।
देश विदेश से बड़ी संख्या में आते हैं श्रद्धालु
गुरु पूर्णिमा पर लगने वाले इस मेले में उत्तर प्रदेश के अलावा मध्यप्रदेश, राजस्थान हरियाणा, दिल्ली, पंजाब सहित अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु परिक्रमा करने आते हैं। गोवर्धन में विदेशी श्रद्धालुओं की आस्था होने के चलते विदेशों से भी श्रद्धालु परिक्रमा करने आते हैं। मगर इस बार कोरोना का प्रभाव न फैले इसको देखते हुए जिला प्रशासन ने मेला निरस्त करने के आदेश दिए हैं।

इसलिए मनाया जाता है मुड़िया पूर्णिमा मेला
मुड़िया पूर्णिमा मेला की463 वर्ष पुरानी परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सनातन गोस्वामी का आविर्भाव वर्ष 1488 में पश्चिम बंगाल के रामकेली गांव, जिला मालदा के भारद्वाज गोत्रीय यजुर्वेदीय कर्णाट विप्र परिवार में हुआ था। वे पश्चिम बंगाल के राजा हुसैन शाह के यहां मंत्री थे। चैतन्य महाप्रभु की भक्ति से प्रभावित होकर सनातन गोस्वामी उनसे मिलने वाराणसी आ गए और उनकी प्रेरणा से ब्रजवास कर भगवान कृष्ण की भक्ति करने लगे।
आज भी जारी है परंपरा
मुड़िया संतों के अनुसार 1558 में सनातन गोस्वामी के गोलोक गमन हो जाने के बाद गौड़ीय संत एवं ब्रजजनों ने सिर मुंडवा कर उनके पार्थिव शरीर के साथ सात कोसीय गिरिराज परिक्रमा लगाई। तभी से गुरु पूर्णिमा को मुड़िया पूर्णिमा के नाम से जाना जाने लगा। आज भी सनातन गोस्वामी के तिरोभाव महोत्सव पर गौड़ीय संत एवं भक्त सिर मुंड़वा कर मानसी गंगा की परिक्रमा कर परंपरा का निर्वहन करते हैं।
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