पंचकुला
हरियाणा (Haryana) के पंचकूला (Panchkula) से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है। सेक्टर 27 की सड़क किनारे खड़ी एक कार में एक ही परिवार के 7 लोगों के शव मिलने से हड़कंप मच गया। मृतकों में दो दंपती, तीन मासूम बच्चे और एक बुजुर्ग शामिल हैं। प्रारंभिक जांच में यह मामला सामूहिक आत्महत्या का बताया जा रहा है।
इस परिवार की पहचान देहरादून (Dehradun) निवासी प्रवीण मित्तल (42) और उनके परिजनों के रूप में हुई है। वे हाल ही में पंचकूला में आयोजित बागेश्वर धाम की हनुमंत कथा में भाग लेने आए थे। लेकिन कथा के समापन के बाद घर लौटते वक्त उन्होंने ऐसा खौफनाक कदम उठाया, जिसने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया।

कार बना कब्र, अंदर बिछीं थीं सात लाशें
सभी शव एक कार के अंदर बंद मिले — हालत बेहद भयावह थी। जहर पीने के बाद उल्टियों के कारण कार का दृश्य रोंगटे खड़े कर देने वाला था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्रवीण मित्तल खुद कार से बाहर निकले और सड़क किनारे गिर पड़े। उन्होंने एक राहगीर से खुद ही कहा:
‘हम सबने ज़हर खा लिया है… मेरे सारे रिश्तेदार करोड़पति हैं, लेकिन किसी ने मदद नहीं की।’
सुसाइड नोट में दर्द और आरोप
पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें प्रवीण ने लिखा है कि उनका अंतिम संस्कार सिर्फ उनका भांजा संदीप अग्रवाल ही करे। साथ ही उन्होंने कर्ज, आर्थिक तंगी और रिश्तेदारों की बेरुखी को इस आत्मघाती फैसले की वजह बताया है। मृतकों में 42 वर्षीय निवासी प्रवीण मित्तल, उनके माता-पिता, प्रवीण की पत्नी और 2 बेटी और एक बेटे सहित तीन बच्चे शामिल हैं।
20 करोड़ का कर्ज और बर्बादी की कहानी
प्रवीण मित्तल ने अपने करियर की शुरुआत पंचकूला से बतौर टैक्सी ड्राइवर की थी। बाद में उन्होंने टूर एंड ट्रैवल्स का काम शुरू किया और हिमाचल के बद्दी में स्क्रैप का कारोबार शुरू किया — लेकिन यह पूरा धंधा लोन पर आधारित था। कारोबार में भारी घाटे के कारण उनका सब कुछ बिक गया — फैक्ट्री, फ्लैट, गाड़ियाँ… और अंत में उम्मीद भी।
सूत्रों के मुताबिक, परिवार पर करीब 20 करोड़ रुपये का कर्ज था। देहरादून में रहकर भी वे इसे नहीं चुका पाए। अंततः वे कुछ दिन पहले वापस पंचकूला लौटे, लेकिन शायद इस बार लौटना ‘विदाई’ की तैयारी थी।
पुलिस-प्रशासन में हड़कंप
पंचकूला की डीसीपी हिमाद्री कौशिक ने बताया हमें सूचना मिली थी कि छह लोगों को ओजस अस्पताल लाया गया है, लेकिन सभी मृत थे। एक अन्य को सेक्टर 6 के सिविल अस्पताल लाया गया, वहां भी उसे मृत घोषित किया गया। प्रथम दृष्टया मामला आत्महत्या का है। डीसीपी लॉ एंड ऑर्डर अमित दहिया और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंच चुकी है। शवों को पंचकूला के निजी अस्पतालों में रखवाया गया है और मामले की हर एंगल से जांच की जा रही है।
सवाल खड़े करता यह अंत
इस सामूहिक आत्महत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं —
- क्या कोई इस परिवार की मदद कर सकता था?
- समाज में ऐसी आर्थिक टूटन को क्यों नहीं पहचाना गया?
- क्या बैंक और कर्जदाताओं का दबाव मौत की दहलीज तक पहुंचा सकता है?
(यदि आप या आपका कोई परिचित मानसिक तनाव या अवसाद से जूझ रहा है, तो कृपया नजदीकी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें। जीवन अनमोल है।)
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