दौसा
भारत रत्न, संविधान निर्माता, समाज सुधारक बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर दौसा (Dausa) शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। यह शोभायात्रा शहरभर में आकर्षण का केंद्र बनी रही। जगह-जगह पुष्पवर्षा, जलपान एवं फल वितरण से वातावरण उल्लासमय हो गया। नीले झंडों से सजे वाहन, मोटरसाइकिलें और झांकियों ने बाबा साहेब के विचारों का संदेश पूरे शहर में फैलाया।
शोभायात्रा का मार्ग और स्वागत स्थल
शोभायात्रा गंगा विहार कॉलोनी, सोमनाथ नगर से प्रारंभ होकर पीजी कॉलेज, गांधी तिराया, नगर परिषद कार्यालय, नागौरी मोहल्ला, लालसोट रोड चुंगी, पुराने शहर से होते हुए कबीर मंदिर, टोंडीपाड़ा मोहल्ले में जाकर सम्पन्न हुई।
इस दौरान जगह-जगह आमजन और सामाजिक संस्थाओं ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया। सोमनाथ चौराहे पर स्थानीय नागरिकों ने हर्ष के साथ शोभायात्रा का अभिनंदन किया।
ज्ञान सागर कोचिंग सेंटर पर पुष्पवर्षा कर स्वागत करने वालों में प्रमुख रूप से राहुल जैमन, विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष रुपेंद्र शर्मा, परमानंद शर्मा, त्रिवेंद्र पाठक, योगेश गोठड़ा, सरोज जाकड़, अंबेश जाकड़, दीपक बोहरा, रमेश मानपुरिया सहित अनेक पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।

पिंकी होटल के सामने गोठवाल परिवार द्वारा भगवान वर्मा, कैलाश गोठवाल, सरवन गोठवाल, सुदर्शन गोठवाल व अन्य परिजनों ने पुष्पवर्षा, फल एवं पानी की बोतलों का वितरण कर शोभायात्रा का स्वागत किया। तिवारी धर्म कांटे व महावर कॉलोनी में एसबीआई बैंक के पास ठंडाई एवं फ्रूटी का वितरण कर कार्यकर्ताओं को गर्मी से राहत दी गई। गांधी तिराया पर शोभायात्रा के दौरान बाबा साहेब के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई और उनके नारे गूंजते रहे।

प्रमुख जनप्रतिनिधियों व समाजसेवियों की उपस्थिति
इस अवसर पर बाबूलाल बैरवा, धन्नालाल बैरवा, भाजपा शहर अध्यक्ष राजेश शर्मा, जगदीश बेरवा (आरटीओ), रामअवतार मावई, राजेंद्र प्रजापत, ओमप्रकाश परेवा, डॉ. प्यारेलाल बेरवा, महेश बैरवा, आरके वर्मा, जगजीवन राम (एडवोकेट), चेतराम बैरवा (भामाशाह), कल्याण वर्मा, रोहित दंगयाच, दीपक बोहरा, रमेश मानपुरिया, आरएस बेरवा, भगवान सहाय बैरवा (एईएन), विजय सिंह (गिरदावर), निर्मल वर्मा, प्रशांत वर्मा, ओमप्रकाश बैरवा, चंद्रभान बैरवा, नरेश मीरवाल, उमेद बैरवा, नरेश जोंडवाल, काशीराम बैरवा, शैलेंद्र वेद, धर्मपाल मीणा सहित सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।
वक्ताओं का संदेश: “शिक्षा, संगठन और संघर्ष ही हैं असली ताकत”
कबीर मंदिर पर समापन समारोह में वक्ताओं ने बाबा साहेब के विचारों और संघर्षों को याद करते हुए कहा कि उनका जीवन प्रेरणा का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “शिक्षा शेरनी का दूध है, जो इसे पिएगा वही दहाड़ेगा।” शिक्षा, संगठन और संघर्ष के मंत्र को आत्मसात कर ही समाज को सशक्त किया जा सकता है।
वक्ताओं ने बताया कि बाबा साहेब का जीवन उनके मरणोपरांत भी संघर्षपूर्ण रहा। केंद्रीय मंत्री रहते हुए भी दिल्ली में उन्हें अंतिम संस्कार की जगह नहीं मिली, और निजी खर्च पर उन्हें मुंबई ले जाकर अंतिम संस्कार किया गया। इसके बावजूद उनके अंतिम यात्रा में 30 लाख से अधिक लोग शामिल हुए।
समापन: श्रद्धांजलि और नारे
अंत में शोभायात्रा में उपस्थित जनसमूह ने “जय भीम”, “बाबा साहेब अमर रहें”, “नमो बुद्धाय” जैसे नारों से वातावरण गुंजायमान कर दिया। सभी ने सिर झुकाकर बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी और आयोजकों द्वारा सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया गया।
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