सर्वव्यापी गणित …

गणित

 सतीश रोहिला, झुंझुनूं


गणित आदिकाल से ही हमारे आसपास है। इसे मानव ने अपनी आवश्यकता अनुरूप विकसित किया। प्रारंभ में उसने उंगलियों अथवा कंकर से गिनना शुरू किया और बाद में उन्हें लकीरों के रूप में लिखना। गणित जीवन में तब प्रवेश करती है जब हम इस दुनिया में प्रवेश करते हैं। सर्वप्रथम हमें अपनी जन्मतिथि और समय मिलता है जिससे हमारे भविष्य की जन्म कुंडली बनाई जाती है। एक दर्जन अंकों वाला अनिवार्य आधार कार्ड भी मिलता है। उसके बाद पेन कार्ड, बैंक खाता, मोबाइल नंबर, गाड़ी नंबर,  घर का नंबर, शहर का पिन कोड सभी अंकों में ही होता है। कुछ समय बाद तो ओटीपी के झूले में हम झूलते ही रहते हैं।

समय के चक्र में भी गणित का बहुत बड़ा महत्व है। एक शताब्दी में 100 वर्ष,  1 वर्ष में 12 महीने, 1 महीने में 30 या 31 दिन, 1 दिन में 24 घंटे, 1 घंटे में 60 मिनट, 1 मिनट में 60 सेकंड आदि से हम अपने भूत और भविष्य की दुनिया संजो लेते हैं। पीछे हमारा इतिहास क्या रहा है, उसे जानकर आगे भविष्य कैसे अच्छा बनाया जा सकता है, यह सब काल गणना पर ही निर्भर करता है।

क्या गणित का उपयोग केवल उन लोगों द्वारा किया जा रहा है जिनके पास दृष्टि है? नहीं, बिल्कुल नहीं।। दृष्टि विहीन व्यक्ति ज्यामिति आकृतियों के द्वारा ही विभिन्न वस्तुओं की पहचान करता है। मुद्रा की पहचान भी वह उसकी आकृति से ही कर पता है।  क्या आपने कभी सोचा है कि हम अपने बधिर मित्रों के साथ कैसे संवाद करते हैं? उंगलियों का अभिविन्यास, बधिर लोगों के लिए संचार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि आप ध्यान दें, तो एक साधारण व्यक्ति कार्टेशियन निर्देशांक को दिमाग में रखकर चलता है क्योंकि वह देख सकता है और सटीक स्थान जानता है, लेकिन दूसरी ओर एक विशेष रूप से सक्षम व्यक्ति जो देख नहीं सकता है, ध्रुवीय निर्देशांक को दिमाग में रखकर चलता है। वह दिशा और दूरी को हमेशा अपने दिमाग में रखता है। उसकी हाथ की छड़ी हर कदम पर उसके दिमाग में चल रही निर्देशांक ज्यामिति से अपनी दिशा तय कर लेती है।

शतरंज के खेल की हर चाल में गणित शामिल होता है। शतरंज की बिसात 64 वर्गों वाला 8×8 मैट्रिक्स होता है। शतरंज की उत्पत्ति छठी शताब्दी में भारत में किसी और ने नहीं बल्कि गणितज्ञ सेसा ने की थी, जिन्होंने गणित से अनजान राजा को बहुत प्रसिद्ध श्रृंखला समस्या दी थी “गेहूं और शतरंज की बिसात की समस्या” जिसमें कहा गया है कि  शतरंज की बिसात में 64 खाने होते हैं। यदि पहले खाने में 1 गेहूं का दाना रखा जाए, तो अगले खाने में 2, फिर 4, और इसी तरह हर खाने में दानों की संख्या दोगुनी होती जाएगी। इस प्रकार 64 वें खाने पर 2^63 = 9,223,372,036,854,775,808 दाने होंगे। शतरंज की चाल में भी गणित समाई होती हैं। राजा किसी भी दिशा में एक खाना चल सकता है। वजीर किसी भी दिशा में, जितने चाहें उतने खाली खाने चल सकता है। हाथी सीधी रेखा में आगे-पीछे या दाएं-बाएं चल सकता है। ऊंट तिरछे चल सकता है। घोड़ा ‘L’ आकार में चलता है (दो खाने एक तरफ और फिर एक खाना लंबवत)। प्यादा अपनी पहली चाल में एक या दो खाने आगे बढ़ सकता है। उसके बाद, केवल एक खाना आगे बढ़ सकता है। लूडो, सांप सीढ़ी खेलने के लिए पासे की जरूरत पड़ती है जो 1 से 6 अंकों का बना होता है। वहां भी सारा खेल अंकों का है। अंकों से ही बाजी जीती जाती है या गोटियां मार दी जाती हैं।

वास्तव में, बिना गणित की सहायता से किसी भी खेल की कल्पना नहीं की जा सकती। क्रिकेट में चौके छक्के हों या रन अथवा ओवर, सब कुछ गणितीय अंकों पर ही चलता है। अन्य सभी खेलों में भी सभी का ध्यान स्कोर बोर्ड पर ही लगा रहता है।

गणित की समझ केवल मनुष्यों में ही नहीं, पशु – पक्षियों में भी है। जैसे किसी बिल्ली के तीन बच्चे हैं और अचानक उनमें से एक गायब हो जाता है। बिल्ली तुरंत इसे ताड़ लेती है और बच्चे की तलाश शुरू कर देती है। इसका मतलब, माँ गिनती जानती है। जानवरों को दूरी और गति का भी बोध होता है। जंगल में शेर जब हिरन का शिकार करता है तो उसे दूरी और अपनी गति का पूरा ज्ञान होता है। गलत गणना होने पर या हिरण भी उसी अनुपात में अपनी दिशा और गति निर्धारित कर बच निकलता है। इसीलिए गणित का ज्ञान जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर है। इसी तरह, यदि आप कभी भी चींटियों के अनुक्रम को ध्यान से देखें, तो वे समदूरस्थता के साथ पूर्ण सद्भाव में चलती हैं। अत: जानवरों की भाषा में भी गणित का पूरा योगदान है।

गणितज्ञ अद्भुत काम करते हैं। वे प्रकृति में छिपी सुंदरता की खोज करते हैं। गणित का “गोल्डन रूल” हर सुंदर वस्तुओं व जीवों में परिलक्षित होता है। 

जीपीएस हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। आज हम सभी रास्तों की दूरी और दिशा की गणना इसी जीपीएस से करते हैं। यह हमें सटीक स्थान के साथ मार्ग बताता है जो केवल चार उपग्रहों की मदद से सापेक्षता के ज्यामिति के कारण संभव है। स्तर वक्रों के उपयोग से हम टीवी पर मौसम की जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।

 सरकार के नीति निर्माण में गणित बहुत मदद करती है। आवश्यक डेटा एकत्र कर सांख्यिकीविद् नीति बनाने के लिए इसका विश्लेषण करते हैं। सही गणना से हमारे सकल घरेलू उत्पाद में नौकरी सृजन और विकास दर जैसे सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।  इसी तरह अभाज्य संख्याओं का अच्छा ज्ञान हैकिंग से सुरक्षित कर सकता है।  गणित दोधारी तलवार की तरह है जो दोनों तरह से काट सकती है। 

गैलीलियो गैलीली ने सही कहा है “गणित वह भाषा है जिसमें भगवान ने ब्रह्मांड लिखा है।”

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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