भूख कौ डर…

आज जा बिचार ते
किसना कौ मन
कांटे के तारन में
जकरों परयौ है

सौंदर्य…

सौंदर्य से सजी यह दुनिया,
रंगों का मधुर संगम समाया।
मनमोहक आकर्षण इसका

यात्रा…

जीवन में यायावारी कितना सिखाती है।
यात्रा भी, ज्ञान का सागर दिखाती है,

हीरे सी चमकती किस्मत है मेरी…

एक नहीं वरन् दो माँ हैं मेरी
हीरे सी चमकती किस्मत है मेरी

मंद-मंद क्यों मुस्काते हो…

मंद-मंद क्यों मुस्काते हो
हंसने में क्यों शर्माते हो,
खुल के हंस लो आज प्यारे

जीवन और प्रेम…

प्रेम नीर से ही बढ़ता है,
जीवन का यह पौधा।
जीवन के अपने अनुभव से

खेल तो आखिर यही चलता है…

गरमी
जब
करने लगती है
भारी जुल्म

ओ! मलिन जमुना जल…

बहौ
ओ! मलिन जल
जमुना बहौ
जे तन वृंदावन अरु

यादें…

यादें बहुत खुबसूरत होती हैं
न लड़ती हैं न झगड़ती हैं

कैसे भुलाएं?

यथार्थ को छैनी से
स्वप्नों को काटा छाँटा