आज जा बिचार ते किसना कौ मन कांटे के तारन में जकरों परयौ है
सौंदर्य से सजी यह दुनिया, रंगों का मधुर संगम समाया। मनमोहक आकर्षण इसका
जीवन में यायावारी कितना सिखाती है। यात्रा भी, ज्ञान का सागर दिखाती है,
एक नहीं वरन् दो माँ हैं मेरी हीरे सी चमकती किस्मत है मेरी
मंद-मंद क्यों मुस्काते हो हंसने में क्यों शर्माते हो, खुल के हंस लो आज प्यारे
प्रेम नीर से ही बढ़ता है, जीवन का यह पौधा। जीवन के अपने अनुभव से
गरमी जब करने लगती है भारी जुल्म
बहौ ओ! मलिन जल जमुना बहौ जे तन वृंदावन अरु
यादें बहुत खुबसूरत होती हैं न लड़ती हैं न झगड़ती हैं
यथार्थ को छैनी से स्वप्नों को काटा छाँटा