विक्रम पहुंचा चांद पर,
भारत का अभिमान।
रोम- रोम पुलकित हुआ
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भारत का अभिमान…
सब कुछ अनुकूल नहीं होता…
जीवन में दुःख सुख आते हैं , कुछ अनुभव देकर जाते हैं…
तो बुरा समय क्यों ठहरेगा…
तो बुरा समय क्यों ठहरेगा…
पर हार नहीं मानेंगे हम…
आंधी आए, तूफ़ान आए…
होली के ऐसे हों रंग…
होली के ऐसे हों रंग
हर बरस खेलते हैं होली,
बना कर हम टोली।
रंग और गुलाल…
ईर्ष्या, क्रोध, घृणा, प्रतिशोध, अहं को त्यागिए और प्रसन्न रहिए
बड़ों के चरण स्पर्श करने पर यही आशीर्वाद दिया जाता था कि सदा प्रसन्न रहो। पर पता नहीं कब यह प्रसन्नता भारतीय जनता के हाथ से…
लड़कियां बदल रही हैं…
यूं तो बदल रहा है समाज भी,
बदल रही है परंपरा, रीति रिवाज….