होली के ऐसे हों रंग…

अलका अग्रवाल

हर बरस खेलते हैं होली,
बना कर हम टोली।
रंग और गुलाल जल्दी ही उतर जाते हैं,
मन की गहराई तक कहां जा पाते हैं।
क्या ऐसे पक्के रंग हो सकते हैं
होली के इस जीवन में।
केसरिया रंग हो शौर्य का,
श्वेत रंग शांति का।
लाल हो, भ्र्ष्ट व्यवस्था को,
उखाड़ फेंकने का, क्रांति का।
हरा जीवन में वैभव का,
समृद्धि और खुशहाली का।
ऐसे रंगों से जिस दिन,
हमारा मन रंग जाएगा।
उसी दिन से रंगों का यह पर्व मनाना,
होली खेलना सार्थक हो जाएगा।

(लेखक सेवानिवृत्त कालेज प्राचार्य हैं)