सब कुछ अनुकूल नहीं होता…

सकारात्मकता  

डॉ. अलका अग्रवाल 


जीवन में दुःख सुख आते हैं
कुछ अनुभव देकर जाते हैं
हम बेहद घबरा जाते हैं
प्रतिकूल समय जब पाते हैं।
नादान है मन, धीरज खोता।

सब कुछ अनुकूल नहीं होता।

जीवन में बस वसन्त आएं,
पतझड़ का कोई काम न हो।
ऐसा कैसे हो सकता है,
बदलाव का जिसमें नाम न हो।
सोना तप कर कुंदन होता।

सब कुछ अनुकूल नहीं होता।

जो कुछ झोली में मिला हमें,
उसको सहर्ष स्वीकार करें।
ना व्यर्थ दोष दें किस्मत को,
दुःख छोड़ें, अंगीकार करें।
मन में तब मैल नहीं होता।

सब कुछ अनुकूल नहीं होता।

(लेखिका सेवानिवृत कॉलेज प्राचार्य हैं)




 

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