प्रयागराज
17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में मंगलवार को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने बाहुबली और माफिया से राजनेता बने माफिया अतीक अहमद समेत तीन आरोपियों को दोषी करार दिया गया है, जबकि सात आरोपियों को निर्दोष करार दिया है। ककोर्ट ने इन तीनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और एक -एक लाख का जुर्माना किया गया है। इस मामले में कुल 11 आरोपी थे। इनमें से 1 की मौत हो गई है। इससे पहले सोमवार को अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया। जबकि उसके भाई अशरफ को बरेली से प्रयागराज लाया गया। इसके अलावा एक अन्य आरोपी फरहान को भी यहीं लाया गया था।
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जज ने जैसे ही फैसला सुनाया, फैसला सुनते ही अतीक अहमद कोर्ट में बेहोश होकर गिर पड़ा। अतीक के मुंह पर पानी के छीटें मारे गए। फिर उसको होश आया। रोते हुए जज से बोला-‘सजा बहुत ज्यादा है साहब।’
केस में अतीक अहमद, दिनेश पासी खान, शौलत हनीफ को 364a, 34, 120, 341, 342,504,506 धाराओं में दोषी पाया गया। अतीक अहमद समेत तीनों दोषियों पर उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कोर्ट ने उनपर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना उमेश पाल के परिवार वालों को दिया जाएगा।इससे पहले अतीक के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जान को खतरा बताया था। वकील ने कोर्ट से सुरक्षा की मांग की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अतीक को जेल लाया गया है। यह इस कोर्ट का मामला नहीं है। आप हाईकोर्ट जाइए। राज्य सुरक्षा का ध्यान रखेगी।
अतीक से मिल जाने की फैल गई थी चर्चा
कोर्ट में विधायक राजू पाल हत्याकांड में दी गई गवाही बदलने के बाद उमेश पाल के बारे में प्रयागराज में चर्चा फैल गई थी कि वह अतीक से मिल गए हैं। जबकि सच्चाई यह थी कि उमेश बुरी तरह डरे हुए थे। सूबे की सत्ता बदलने के बाद उनका यह डर कुछ कम हुआ तो उन्होंने अतीक के खिलाफ केस भी दर्ज कराया। अपहरण के एक साल बाद दर्ज हुई एफआईआर को लेकर लम्बी कानूनी लड़ाई चली। इस बीच राजू पाल मर्डर केस की भी कानूनी लड़ाई उमेश लड़ते रहे। इसी बीच 24 फरवरी को गाड़ी से उतरते वक्त बदमाशों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्या कर दी। उमेश के साथ उनके गनर की भी मौत हो गई थी। कुल 44 सेकेंड में अंजाम दिया गया।
25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस केस में अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ समेत 5 आरोपी नामजद थे जबकि चार अज्ञात को आरोपी बनाया था। इस केस में राजू पाल के रिश्तेदार उमेश पाल मुख्य गवाह था। उमेश का 28 फरवरी 2006 अपहरण हुआ था। इसका आरोप अतीक अहमद और उसके साथियों पर लगा था। उमेश ने आरोप लगाया था कि अतीक ने उसके साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी।
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