बदायूं
नरौरा गंगा बैराज से शुरू हुई देश के विख्यात विचारक और चिंतक गोविंदाचार्य के सानिध्य में शुरू हुई गंगा संवाद यात्रा नदियों को निर्मल बनाने के लिए गांव-गांव अलख जगा रही है। गंगा संवाद यात्रा को एक सप्ताह पूरा हो गया है और अब यह आठवें दिन में प्रवेश कर गई है।
इन दिनों उत्तरप्रदेश के जिला बदायूं में गंगा किनारे बसे गांवों में इस संवाद यात्रा का पड़ाव हो रहा है। सातवें दिन अर्ध विश्राम का दिन जिला पंचायत विश्राम गृह सहसवान में था। दोपहर भोजन के बाद गंगा संवाद यात्रा मुंडारी सिंधपुर, समदा, बेढहरिया, सुरलालपुर, बक्सर पहुंची। इस दौरान गोविंदाचार्य ने मानव केंद्रित विकास की अवधारणा को विकारग्रस्त बताया।
गोविन्दाचार्य ने कहा भारत की तासीर का तकाजा है, हजारों वर्ष से भारत का समाज इस सूत्र पर चल रहा है। किंतु विगत कुछ वर्षों से बाज़ारवाद ने इसे बदल दिया है। अब धर्म का परित्याग करते हुए सुखस्य मूल अर्थ स्वीकार कर लिया गया है। गंगा जी के बन्धन, विभाजन और प्रदूषण की समस्याओं का हल प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए।
गोविंदाचार्य ने कहा कि गंगा में प्रदूषण का सबसे बड़ा केंद्र बिंदु कानपुर है। इसलिए नरौरा से कानपुर के गंगा प्रवाह पर ज़्यादा ध्यान देने की आवश्कता है। मीडिया प्रभारी मुरार कण्डारी ने बताया कि गंगा संवाद यात्रा में ललिता देवी, निरंजना देवी, निधि देवी, दिनेश तिवारी, वाशुदेवआचार्य, विवेक त्यागी, जीबकांत झा, सागर पाठक, रोनित, प्रिंस शर्मा, प्रभाकर शर्मा, मोहन सिंह आदि पद यात्रा कर रहे हैं।
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