20 भाषाओं के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा, बिहार के नाम तीन पुरस्कार, देखें विजेताओं की पूरी सूची

Sahitya Akademi Award- 2020

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साहित्य अकादमी ने 20 भाषाओं के लिए अपने वार्षिक Sahitya Akademi Award 2020 की घोषणा कर दी है। पुरस्कार देने के लिए सात कविता-संग्रह, चार उपन्यास, पांच कहानी-संग्रह, दो नाटक, एक-एक संस्मरण और महाकाव्य चयन किया है। बिहार के तीन साहित्यकारों  अनामिका, कमलकांत और हुसैन-उल-हकक को साहित्य पुरस्कार दिए  जाने की घोषणा की गई है। हिंदी में कविता संग्रह के लिए बिहार मुजफ्फरपुर की अनामिका और कन्नड़ में महाकाव्य लिखने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम वीरप्पा मोइली (Veerappa Moily) को उनके महाकाव्य ‘श्री बाहुलबली अहिमसादिग्विजयम’ के लिए वर्ष 2020 का प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
अंग्रेजी में अरुंधति सुब्रह्मण्यम को कविता संग्रह ‘व्हेन गॉड इज़ ए ट्रैवलर’ के लिए जबकि उर्दू में बिहार के हुसैन-उल-हक को उनके उपन्यास ‘अमावस में ख्वाब’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

बिहार के नाम तीन पुरस्कार
बिहार के तीन साहित्यकारों  अनामिका, कमलकांत और हुसैन-उल-हकक को साहित्य पुरस्कार दिए  जाने की घोषणा की गई है। मुजफ्फरपुर की रहने वाली अनामिका को हिंदी कविता संग्रह ‘टोकरी में दिगन्त : थेरी गाथा : 2014’ के लिए यह सम्मान दिया गया है, जबकि मैथिली साहित्य के लिए बिहार के दरभंगा के ही कमलकांत झा को उनकी रचना ‘गाछ रूसल अछि’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है। गया के रहने वाले जनाब हुसैन अल हक को उर्दू उपान्यास ‘अमावस में ख्वाव’ के लिए सम्मान दिया गया है। अनामिका
हिंदी में कविता संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाली देश की पहली महिला साहित्यकार  हैं। ये दिनकर और अरुण कमल के बाद बिहार की तीसरी साहित्यकार हैं जिन्हें हिंदी के लिए साहित्य अकादमी मिला है हिंदी कविता में योगदान के लिए अनामिका को राजभाषा परिषद् पुरस्कार, साहित्य सम्मान, भारत भूषण अग्रवाल व केदार सम्मान मिल चुके हैंअनामिका का जन्म 17 अगस्त 1961 को मुजफ्फरपुर में हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में M.A. किया है। वे दिल्ली यूनिवर्सिटी से D.lit. हैं और वहीं से P.H.D. भी किया है। अनामिका फिलहाल दिल्ली में रहती हैं लेकिन बिहार आना-जाना होता रहता है। कविता के साथ-साथ उन्होंने उपन्यास, कहानियां भी लिखा है। कई अनुवाद भी किया है। अनामिका इन दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय के सरस्वती कॉलेज में अध्यापन कर रही हैं। उनकी मां आशा किशोर हिंदी की प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रह चुकी हैं। भाई महाराष्ट्र कैडर में IAS अधिकारी हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रसिद्ध हिन्दी कवयित्री अनामिका, मैथिली रचनाकार कमलकांत झा तथा उर्दू साहित्यकार जनाब हुसैन-उल-हक को वर्ष 2020 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की है और उन्हें शुभकामनाएं दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बिहार के लिए बेहद गौरव की बात है। बिहार की बेटी को हिंदी का सर्वोच्च सम्मान मिलना देश की आधी आबादी को प्रेरणा प्रदान करेगा। उन्होंने कहा है कि बिहार से ताल्लुक रखने वाले दोनों रचनाकारों की इस उपलब्धि पर पूरे बिहारवासियों को गर्व है।

पिता भी रहे हैं बड़े गीतकार, मिला है पद्मश्री
अनामिका बिहार में रामधारी सिंह दिनकर और अरुण कमल के बाद तीसरी साहित्यकार हैं जिन्हें हिंदी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है। उनके पिता डॉ. श्यामनंदन किशोर हिंदी साहित्य के राष्ट्रकवि दिनकर, गोपाल सिंह नेपाली की पीढ़ी के गीतकार थे। वे बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। मुजफ्फरपुर में हरिसभा चौक के पास रज्जू साह लेन में उनका घर है। डॉ. श्यामनंदन किशोर को पद्मश्री पुरस्कार भी मिला था। मुजफ्फरपुर के कवि प्रो. रमेश ऋतंभर कहते हैं कि अपनी कविता में अनामिका ने स्त्री विमर्श और वेदना को लोक मुहावरे के साथ रखा। बोलचाल की भाषा में स्त्री की पीड़ा कविता में रखी। उन्होंने नई भाषा गढ़ी।

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