कांग्रेस में फिर गहरा सकता है संकट, गहलोत विरोधी धड़ा दिखाने लगा तेवर

योगेन्द्र गुप्ता  

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सचिन पायलट ने अपनी ताकत दिखाकर दिया संकेत- वे कोई कमजोर नेता नहीं 


जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में इन दिनों एक बार फिर घमासान के संकेत मिल रहे हैं। इससे दुबारा से प्रदेश कांग्रेस में संकट गहरा सकता है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से टकराव के चलते सचिन पायलट की उप मुख्यमंत्री की कुर्सी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छिन गया था। जैसे – तैसे सचिन पायलट और उनके समर्थक पार्टी विधायकों की वापसी हो पाई थी। वरना सचिन समर्थकों की भाजपा में जाने की तैयारी हो गई थी। कुछ महीने शांत रहने बाद अब सचिन पायलट की सक्रियता से कांग्रेस में फिर हलचल शुरू हो गई है। इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे में ज़्यादा बेचैनी देखी जा रही है। क्योंकि कांग्रेस में अपमानित होने के बाद सचिन पायलट के पास खोने को अब कुछ नहीं बचा है। जबकि गहलोत खेमे के पास खोने को ही बचा है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे में बेचैनी की वजह किसान महापंचायत के नाम पर हो रही सचिन पायलट की विशाल सभाएं हैं। कहने को ये किसान महापंचायतें हैं और इनमें कृषि कानूनों को लेकर केन्द्र सरकार को जमकर कोसा जा रहा है। पर वास्तविकता ये है कि सचिन पायलट इन महापंचायतों के बहाने अपनी ताकत दिखाकर गहलोत गुट को खुली चुनौती दे रहे हैं। खास बात ये कि सचिन पायलट ने कांग्रेस पार्टी से कोई सीधा टकराव नहीं लिया है। अलबत्ता केन्द्रीय आलाकमान को अपनी ओर से यह संकेत दे दिए हैं कि वह कोई कमजोर नेता नहीं हैं या फिर उनको कमजोर आंकने की कोशिश नहीं की जाए।

महापंचायतों से गहलोत गुट ने बनाई दूरी
सचिन पायलट की किसान महापंचायतों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे ने दूरी बना रखी है। 19 फरवरी को जयपुर जिले के कोटखावदा में सचिन पायलट की महापंचायत थी। इसमें गहलोत, डोटासरा और कई मंत्रियों को भी बुलाया गया। पर उनमें से कोई भी महापंचायत में नहीं पहुंचा। मंच पर पायलट समेत 17 विधायक मौजूद रहे। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की रणनीति के मुताबिक सचिन पायलट कृषि बिलों को लेकर किसान महापंचायतें कर रहे हैं। पर कांग्रेस संगठन ने अपनी तरफ से ऐसे किसी आयोजन की सूचना जारी नहीं की। लिहाजा यह मानकर चला जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस में कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ चल रही है। और सचिन अपने स्तर पर ही इन महापंचायतों का आयोजन कर रहे हैं। इससे साफ़-साफ़ संकेत मिल रहे हैं कि सचिन गुट को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नेतृत्व किसी भी हालत में स्वीकार नहीं। यही वजह है कि गहलोत गुट ने इन महापंचायतों से दूरी बना रखी है।

महापंचायत के मंच पर बगावत के वक्त साथ छोड़ने वाले निवाई विधायक प्रशांत बैरवा भी पहुंचे। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नारायण सिंह के पुत्र और दांतारामगढ विधायक वीरेंद्र सिंह भी मौजूद रहे। प्रशांत बैरवा 7 महीने बाद पायलट के किसी कार्यक्रम में शामिल हुए। प्रशांत बैरवा पहले सचिन पायलट के ही साथ थे लेकिन जुलाई में बगावत के वक्त गहलोत खेमे में चले गए थे। बाड़ेबंदी में भी वे गहलोत के साथ थे। इसने भी गहलोत के सामने चिंता की लकीरें खींच दी हैं। सचिन पायलट ऐसी बड़ी किसान महापंचायतें दौसा और भरतपुर में भी कर चुके हैं।

क्या सचिन क्षेत्रीय दल गठित करने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं?
सचिन पायलट का भाजपा में शामिल होने का मामला बैठा नहीं और कांग्रेस संगठन में उनकी चल नहीं रही। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि सचिन पायलट ने राजस्थान में क्षेत्रीय दल गठित करने की तरफ कदम आगे बढ़ा दिया है। शुरुआत में वे किसान महापंचायतों के बहाने ताक़त का प्रदर्शन कर रहे हैं। राजस्थान में अभी कोई तीसरी ताक़त उभर नहीं पाई है। सूत्र बताते हैं कि सचिन इसको भर सकते हैं। भाजपा से अलग होने के बाद सांसद हनुमान बेनीवाल का साथ  उनको मिल सकता है। इसके साथ ही सचिन पायलट के साथ 17-18 जो विधायक खड़े हैं उन सभी का अपने -अपने इलाके में दबदबा है। उनको आगामी विधान सभा चुनाव जीतने के लिए सचिन पायलट की ज़रूरत है और सचिन को प्रदेश में तीसरी ताक़त का नेतृत्व करने के लिए इन विधायकों की ज़रूरत है। लिहाजा किसान पंचायतों को क्षेत्रीय दल गठित करने की कवायद के रूप में भी देखा  रहा है। 

विधायक विश्वेंद्र सिंह ने गहलोत पर साधा निशाना
सचिन पायलट के साथ मुखर तरीके से रहे कुम्हेर-डिग के विधायक और पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह तो किसान महापंचायतों में मुखयमंत्री अशोक गहलोत को निशाने पर ले रहे हैं। उन्होंने 19 फरवरी को कोटखावदा की महापंचायत में कहा कि पहले हमारी 99 सीट आईं, फिर 101 हो गईं। विश्वेंद्र सिंह ने जब पंचायत में  ‘मेहनत कोई करे…’ कह ही रहे थे कि इतना कहते ही पूरी महापंचायत में तालियां और पायलट के समर्थन में नारेबाजी होने लगी। इस पर विश्वेंद्र सिंह ने कहा, आप मेरे से ज्यादा होशियार हैं। विश्वेंद्र सिंह मेहनत कोई करे…कहकर रुक गए, लेकिन इसमें सब कुछ कह गए। 

पायलट समर्थक ये विधायक रहे मौजूद
महापंचायत में पायलट समर्थक विधायक विश्वेंद्र सिंह, हेमाराम चौधरी, मुरारीलाल मीणा, बृजेंद्र सिंह ओला, रमेश मीणा, वेद प्रकाश सोलंकी, हरीश मीणा, जीआर खटाणा, इंद्राज गुर्जर, राकेश पारीक, अमर सिंह जाटव, सुरेश मोदी, मुकेश भाकर, पीआर मीणा मौजूद रहे। विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत, रामनिवास गावड़िया और भंवरलाल शर्मा महापंचायत में नहीं आए। बताया जाता है कि शेखावत बीमार होने के कारण और रामनिवास गावड़िया पारिवारिक वजह से नहीं आए।





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