‘शैक्षिक मंथन संस्थान’ के कार्यक्रम में वक्ता बोले-हमें मेड इन इंडिया से मेड बाई इंडिया की ओर जाना होगा |‘स्वावलम्बी भारत और समग्र विकास’ पर व्याख्यान

जयपुर 

शैक्षिक मंथन संस्थान जयपुर के तत्वावधान में राजस्थान विश्व विद्यालय जयपुर के मानविकी सभागार में ‘स्वावलम्बी भारत और समग्र विकास’ विषय पर व्याख्यान आयोजित हुआ। कार्क्रम का शुभारम्भ सरस्वती वंदना से किया गया। व्याख्यान के विषय का प्रवर्तन करते हुए शैक्षिक मंथन संस्थान के सचिव मोहन पुरोहित ने कहा कि आज स्वरोजगार के क्षेत्र में स्वावलंबन की महती आवश्यकता है।

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कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा थीं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कोरोना काल में वैक्सीन बनाने से लेकर चिकित्सा के क्षेत्र में भारत उल्लेखनीय रूप से स्वावलंबी बना है। भारत में विगत एक दशक में चिकित्सा रक्षा कृषि उद्योग उर्जा वाणिज्य व्यापार और विदेश नीति की दृष्टि से अपने को स्वावलंबी बनाया है उन्होंने  शिक्षा को उद्यमिता से जोड़ने का भी आह्वान किया।

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं  यूनेस्को द्वारा संचालित महात्मा गाँधी शांति एवं विकास संस्थान के अध्यक्ष एवं स्वावलंबन अभियान के अखिल भारतीय संयोजक प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत में क़ृषि भूमि, एम. एस. एम. ई. उद्योग, एवं कार्यशील जनसंख्या विश्व में सर्वाधिक है। उन्होंने रामायण काल के अर्थशास्त्री उपाध्याय सुधन्वा और कौटिल्य का उदाहरण देते हुए बताया कि 15 वीं शताब्दी तक भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी व विकसित अर्थव्यवस्था रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में किसान और छोटे उत्पादक यदि अपने क्षेत्र में ही अपने उत्पादों का मूल्य संवर्धन करना सीख जाएं तो किसानों एवं छोटी उत्पादकों की आय कई गुना बढ़ सकती है। उन्होंने अमूल एवं पापड़ उद्योग का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि स्वावलंबी भारत होने के लिए हमारे अंदर स्वाभिमान का भाव जागृत होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें मेड इन इंडिया से मेड बाई इंडिया की ओर जाना होगा यानि स्वदेशी तकनीक विकसित होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने विश्व की पांच अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ा है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार पश्चिमी विद्वानों द्वारा भारतीय शास्त्रों की विकृत व्याख्या प्रस्तुत की गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. जे. पी. सिंघल ने अपने व्याख्यान में कहा कि हमको विकास की अवधारणा को फिर से परिभाषित करना होगा। उन्होंने कहा कि हमारे सांस्कृतिक मूल्य, कुटुंब व्यवस्था, सांस्कृतिक कार्यक्रम भी विकास के घटक हैं। उन्होंने कहा कि स्वावलंबी भारत के लिए हमें स्थानीय उत्पाद पर बल देना होगा। इससे हमारा कर जीडीपी अनुपात भी बढ़ेगा।

कार्यक्रम का संचालन शैक्षिक मंथन के संपादक प्रो. शिवशरण कौशिक ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. बसंत जिंदल ने किया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश संगठन मंत्री घनश्याम, महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. दीपक कुमार शर्मा सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विद्यालयों से सैकड़ों शिक्षक, विद्यार्थी उपस्थित रहे। वंदे मातरम् के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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